मेरे अजीज "कलूटा -कुनबे" ( मन के उजले ,तन के काले)सभी साथियों को मेरी प्यार भरी झप्पी । कालेज के पहले साल में पढ़ने के दौरान मुझे अपने काले होने पर इनफीरियारिटी काम्प्लेक्स था। एक जूनियर सखी ने वह दूर किया। अब ज़माना काफी बदल चुका है। फिरभी अपने कलूटा -समुदाय ( मैं भी शामिल हूँ) की हौसला अफजाई करना नैतिक दायित्व तो बनताइच है। सो,अपनों की बात,अपनों के साथ। कम- स- कम हमरंगी साथी तो साथ देंगे ही। बाकी भी अगर मुस्कुराएंगे तो मेरा प्रॉमिस-उन्हें कोई कुछ नहीं कहेगा.-पक्का। -लीजिये,तोहफा क़ुबूल कीजिए
वो तिल बना रहा था , सियाही फिसल गई
उस रोज रेडियो पर किसी कार्यक्रम में बहस चल रही थी काले और गोरे रंग को फिल्म वालों ने किस तरह तरजीह दी है....हिरोइन या हीरो काले क्यों नहीं होते? गोरा रंग ही क्यों अपील करता है...( हालाकि आज के दौर में इस बाबत भी प्रयोग होने लगे है.) फ़िल्मी गीतों में काले -गोरे का इस्तेमाल कैसा किया गया है वगैरह-वगैरह.लोग अपनी राय दे रहे थे और बीच-बीच में गीतों के बोल भी सुनाई दे रहे थे- गोरे रंग पे न इतना गुमान कर ... हम काले है तो क्या हुआ दिलवाले हैं ... राधा क्यों गोरी ,मैं क्यों काला... ये काली कालीऑंखें .. ये गोरे गोरे गाल....
गोरे रंग की नजाकत पर शायरों और लेखकों ने अरसे से लिखीं हैं अनगिनत इबारतें लेकिन बेचारा काला रंग ! उसपर चर्चा करना भी लोग गवारा नहीं समझते.जबकि जिन्दगी के रंगों में इसकी अहमियत जितनी है उतनी किसी अन्य रंग की नहीं..काले रंग के बारे में मन कुछ सोचने लगा था की अचानक दद्दू आ टपके." बात क्या है दद्दू!. काली शर्ट और पैंट भी काली... कोई खास बात !"इससे पहले की वे कुछ जवाब देते मुझे याद आया अखबारवाले ही तो छापते हैं अमुक दिन अमुक रंग के कपडे पहनना शुभ होता है .फिर दद्दू भी अगर इस लहर में बह जाएँ तब कैसा आश्चर्य!
"भाई .. शनिवार है नहीं मालूम क्या?नहा धोकर पूजा -पाठ किया और काले तिल, काली उड़द और काले कपडे का दान कर इसी और निकल पड़ा. शनिवार को काले रंग का महत्व है और शनिदेव की प्रतिमा भी तो काली है " दद्दू की बातों से मुझे काले रंग पर चिन्तन के लिए रास्ता खुलता हुआ महसूस हुआ.यों तो दद्दू और मैं दोनों ही " कलूटा समुदाय" के हैं पर खुद को बचाने कई बार सांवला कहकर गौरवान्वित हो जाते हैं .इससे भी अगर मन नहीं भरता तब भगवान के दिए पक्के रंग (रंग न उड़ने की सेंट परसेन्ट गारंटी )को इस शेर के जरिये याद कर अपने समुदाय के बाकि मेम्बरों की हौसला अफजाई भी कर लेते हैं-
चेहरा अगर सियाह है तो उनका क्या कसूर
वो तिल बना रहा था सियाही फिसल गई
गुनगुनाकर ठहाका लगाया ही था कि यकायक दद्दू न जाने क्या सोचकर गंभीर हो गए.मैंने राज जानना चाहा और वे बोले,'कलमकार... डेढ़ बरस पहले मैंने एक घटना पढ़ी थी.किसी टीन एजर बच्ची को काली है कहने पर इतनी कोफ़्त हुई कि उसने आवेग में आकर ख़ुदकुशी कर ली." इससे बड़ी बेवकूफी क्या हो सकती है " मैंने कहा ," काला या गोरा कोई मायने नहीं रखता .सूरत से भी अधिक महत्वपूर्ण है सीरत. गुणों के सामने चेहरे का रंग बेमायने है.कोयल की मीठी कूक हो या स्वर -कोकिला लता मंगेशकर ... काला रंग मिठास या शोहरत की बुलंदी में कहाँ आड़े आया?
दद्दू ने हामी में सर हिलाया.बातचीत कुछ और आगे बढ़ी..काला जादू ..काली रातों के डरावने किस्से ...कालिया नाग ... कृष्ण पक्ष..अमावस की काली रात !" अख़बार नवीस!नेत्रहीनों की दुनिया कितनी अँधेरी होती होगी!" दद्दू के मन में कुछ जानने की चाह थी." नहीं दद्दू .. वे चमत्कारिक लोग होते है .बाहर से उनकी दुनिया स्याह होती है पर उनकी अंतर्दृष्टि की जगमगाती रौशनी अँधेरी राह को उजाले से भर देती है." मैंने अपनी बात को वजनदार बनाने फिल्म ब्लैक देखकर उसे महसूस करने की हिमायत भी की.
" कारी घटा छाय मोरा जिया घबराय .. काली घटाओं ने गोरी का घूँघट उड़ा दिया ... काली घटाओं से गोरी का जिया घबराने और घूँघट उड़ने का एहसास हम दोनों ने उन गीतों के मुखड़ों से कर लिया था जो हमारी बातचीत के दरम्यान विविध भारती पर बज रहे थे.काले बालों और गोरे गालों का शोख अंदाज इस कव्वाली में बेहतर ढंग से किया गया है-
हमें तो लूट लिया मिल के हुस्नवालों ने
काले काले बालों ने गोरे गोरे गालों ने
गोरे गालों से निगाहें हटकर जब एक पुस्तक पर बनी बापू की फोटो पर पड़ी तब ख्याल आया काले रंग का चर्चा हो और महात्मा गाँधी का जिक्र न आये यह कैसे हो सकता है?काले- गोरे के रंगभेद ... कालो पर अत्याचार मिटाने गाँधी के भागीरथ प्रयास आज कालजयी है.कालों की वैश्विक दुनिया गाँधी के सामने नत मस्तक है.
नतमस्तक उन महापुरुषों के सामने भी होने को मन करता है जो हमेशा यह सीख देते हैं की अपने मन के कल्मष (अन्धकार) को दूर करने की चेष्टा करें.काश काले मन को गोरा बनाने के लिए सद्विचारों के फेयर एंड लवली का भी इस्तेमाल करना लोग सीखें .काला अक्षर भैस बराबर मुहावरा सुना है लेकिन इन्हीं काले अक्षरों को पढकर हर इंसान अपनी दुनिया में तरक्की का उजाला भरने में कामयाब होता है .फैशन के दीवाने ब्लैक कास्ट्यूम अब भी बेहद पसंद करते हैं.
" क्यों अखबार नवीस ! विदेशों की डिप्लोमेटिक बैठकों में काला सूट पहनकर पहनकर हाई प्रोफाइल शख्सियतें रहती हैं." हाँ इसे ही तो ड्रेस कोड कहते हैं" मैंने कहा.दद्दू यकायक बोले ." दूल्हा कितना भी काला-बिलवा-डामर हो अखबार में विज्ञापन छपवाएगा की दुल्हन गोरी ही चाहिए.वैसे विवाह योग्य उम्मीदवारों को काले रंग नहीं आर्थिक क्षमता और चरित्र पर ध्यान देना चाहिए.
बचपन से ही काला धागा .. काला टीका ... काजल की कोठरी काली बिल्ली का खौफ देखते -सुनते आये है .किसी हसीं के गोरे चेहरे पे काला तिल भी तो यूं लगता है जैसे -
दौलते हुस्न पे दरबान बिठा रक्खा है!
पीने के शौक़ीन अपने लिए बहाना ढूंढ ही लेते है. और अगर काली काली घटायें छा गयी हो तो-
पीने का इरादा तो नहीं था मगर ऐ जोश
काली घटा को देखकर नीयत बदल गयी
बहरहाल काले रंग पर बातचीत के इतने दौर चले तब मंटो की मर्मस्पर्शी कहानी "काली सलवार" को कैसे भूल जा सकता है. कोई पत्थर दिल भी इसे पढकर आँखें पोंछने पर मजबूर हो जायेगा.जितनी जुगुप्सा है काले रंग में उतना ही तिलस्मी है इससे जुडा संसार. हाँ यह भी सच है की काले इंसानों की दुनिया से हीं भावना मिट चुकी है.फिर भी काले रंग से जुडी रोचक बाते अगर आपको मालूम हों तो जरूर बताइयेगा.
वो तिल बना रहा था , सियाही फिसल गई
उस रोज रेडियो पर किसी कार्यक्रम में बहस चल रही थी काले और गोरे रंग को फिल्म वालों ने किस तरह तरजीह दी है....हिरोइन या हीरो काले क्यों नहीं होते? गोरा रंग ही क्यों अपील करता है...( हालाकि आज के दौर में इस बाबत भी प्रयोग होने लगे है.) फ़िल्मी गीतों में काले -गोरे का इस्तेमाल कैसा किया गया है वगैरह-वगैरह.लोग अपनी राय दे रहे थे और बीच-बीच में गीतों के बोल भी सुनाई दे रहे थे- गोरे रंग पे न इतना गुमान कर ... हम काले है तो क्या हुआ दिलवाले हैं ... राधा क्यों गोरी ,मैं क्यों काला... ये काली कालीऑंखें .. ये गोरे गोरे गाल....
गोरे रंग की नजाकत पर शायरों और लेखकों ने अरसे से लिखीं हैं अनगिनत इबारतें लेकिन बेचारा काला रंग ! उसपर चर्चा करना भी लोग गवारा नहीं समझते.जबकि जिन्दगी के रंगों में इसकी अहमियत जितनी है उतनी किसी अन्य रंग की नहीं..काले रंग के बारे में मन कुछ सोचने लगा था की अचानक दद्दू आ टपके." बात क्या है दद्दू!. काली शर्ट और पैंट भी काली... कोई खास बात !"इससे पहले की वे कुछ जवाब देते मुझे याद आया अखबारवाले ही तो छापते हैं अमुक दिन अमुक रंग के कपडे पहनना शुभ होता है .फिर दद्दू भी अगर इस लहर में बह जाएँ तब कैसा आश्चर्य!
"भाई .. शनिवार है नहीं मालूम क्या?नहा धोकर पूजा -पाठ किया और काले तिल, काली उड़द और काले कपडे का दान कर इसी और निकल पड़ा. शनिवार को काले रंग का महत्व है और शनिदेव की प्रतिमा भी तो काली है " दद्दू की बातों से मुझे काले रंग पर चिन्तन के लिए रास्ता खुलता हुआ महसूस हुआ.यों तो दद्दू और मैं दोनों ही " कलूटा समुदाय" के हैं पर खुद को बचाने कई बार सांवला कहकर गौरवान्वित हो जाते हैं .इससे भी अगर मन नहीं भरता तब भगवान के दिए पक्के रंग (रंग न उड़ने की सेंट परसेन्ट गारंटी )को इस शेर के जरिये याद कर अपने समुदाय के बाकि मेम्बरों की हौसला अफजाई भी कर लेते हैं-
चेहरा अगर सियाह है तो उनका क्या कसूर
वो तिल बना रहा था सियाही फिसल गई
गुनगुनाकर ठहाका लगाया ही था कि यकायक दद्दू न जाने क्या सोचकर गंभीर हो गए.मैंने राज जानना चाहा और वे बोले,'कलमकार... डेढ़ बरस पहले मैंने एक घटना पढ़ी थी.किसी टीन एजर बच्ची को काली है कहने पर इतनी कोफ़्त हुई कि उसने आवेग में आकर ख़ुदकुशी कर ली." इससे बड़ी बेवकूफी क्या हो सकती है " मैंने कहा ," काला या गोरा कोई मायने नहीं रखता .सूरत से भी अधिक महत्वपूर्ण है सीरत. गुणों के सामने चेहरे का रंग बेमायने है.कोयल की मीठी कूक हो या स्वर -कोकिला लता मंगेशकर ... काला रंग मिठास या शोहरत की बुलंदी में कहाँ आड़े आया?
दद्दू ने हामी में सर हिलाया.बातचीत कुछ और आगे बढ़ी..काला जादू ..काली रातों के डरावने किस्से ...कालिया नाग ... कृष्ण पक्ष..अमावस की काली रात !" अख़बार नवीस!नेत्रहीनों की दुनिया कितनी अँधेरी होती होगी!" दद्दू के मन में कुछ जानने की चाह थी." नहीं दद्दू .. वे चमत्कारिक लोग होते है .बाहर से उनकी दुनिया स्याह होती है पर उनकी अंतर्दृष्टि की जगमगाती रौशनी अँधेरी राह को उजाले से भर देती है." मैंने अपनी बात को वजनदार बनाने फिल्म ब्लैक देखकर उसे महसूस करने की हिमायत भी की.
" कारी घटा छाय मोरा जिया घबराय .. काली घटाओं ने गोरी का घूँघट उड़ा दिया ... काली घटाओं से गोरी का जिया घबराने और घूँघट उड़ने का एहसास हम दोनों ने उन गीतों के मुखड़ों से कर लिया था जो हमारी बातचीत के दरम्यान विविध भारती पर बज रहे थे.काले बालों और गोरे गालों का शोख अंदाज इस कव्वाली में बेहतर ढंग से किया गया है-
हमें तो लूट लिया मिल के हुस्नवालों ने
काले काले बालों ने गोरे गोरे गालों ने
गोरे गालों से निगाहें हटकर जब एक पुस्तक पर बनी बापू की फोटो पर पड़ी तब ख्याल आया काले रंग का चर्चा हो और महात्मा गाँधी का जिक्र न आये यह कैसे हो सकता है?काले- गोरे के रंगभेद ... कालो पर अत्याचार मिटाने गाँधी के भागीरथ प्रयास आज कालजयी है.कालों की वैश्विक दुनिया गाँधी के सामने नत मस्तक है.
नतमस्तक उन महापुरुषों के सामने भी होने को मन करता है जो हमेशा यह सीख देते हैं की अपने मन के कल्मष (अन्धकार) को दूर करने की चेष्टा करें.काश काले मन को गोरा बनाने के लिए सद्विचारों के फेयर एंड लवली का भी इस्तेमाल करना लोग सीखें .काला अक्षर भैस बराबर मुहावरा सुना है लेकिन इन्हीं काले अक्षरों को पढकर हर इंसान अपनी दुनिया में तरक्की का उजाला भरने में कामयाब होता है .फैशन के दीवाने ब्लैक कास्ट्यूम अब भी बेहद पसंद करते हैं.
" क्यों अखबार नवीस ! विदेशों की डिप्लोमेटिक बैठकों में काला सूट पहनकर पहनकर हाई प्रोफाइल शख्सियतें रहती हैं." हाँ इसे ही तो ड्रेस कोड कहते हैं" मैंने कहा.दद्दू यकायक बोले ." दूल्हा कितना भी काला-बिलवा-डामर हो अखबार में विज्ञापन छपवाएगा की दुल्हन गोरी ही चाहिए.वैसे विवाह योग्य उम्मीदवारों को काले रंग नहीं आर्थिक क्षमता और चरित्र पर ध्यान देना चाहिए.
बचपन से ही काला धागा .. काला टीका ... काजल की कोठरी काली बिल्ली का खौफ देखते -सुनते आये है .किसी हसीं के गोरे चेहरे पे काला तिल भी तो यूं लगता है जैसे -
दौलते हुस्न पे दरबान बिठा रक्खा है!
पीने के शौक़ीन अपने लिए बहाना ढूंढ ही लेते है. और अगर काली काली घटायें छा गयी हो तो-
पीने का इरादा तो नहीं था मगर ऐ जोश
काली घटा को देखकर नीयत बदल गयी
बहरहाल काले रंग पर बातचीत के इतने दौर चले तब मंटो की मर्मस्पर्शी कहानी "काली सलवार" को कैसे भूल जा सकता है. कोई पत्थर दिल भी इसे पढकर आँखें पोंछने पर मजबूर हो जायेगा.जितनी जुगुप्सा है काले रंग में उतना ही तिलस्मी है इससे जुडा संसार. हाँ यह भी सच है की काले इंसानों की दुनिया से हीं भावना मिट चुकी है.फिर भी काले रंग से जुडी रोचक बाते अगर आपको मालूम हों तो जरूर बताइयेगा.
7:47 am
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