सोमवार, 26 सितंबर 2011

एक हंसी हर वक्त हो उनको मनाने के लिए

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पिताजी.. मैं नहीं चाहता गुस्सा करना पर क्या करूं अपने आप पर काबू नहीं रख सकता."- एक बेटा कह रहा था.
" बेटा तुम एक काम करना,जब भी तुम्हे गुस्सा आये दरवाजे  पर एक कील ठोंक देना." पिता ने उसे सलाह दी.कुछ ही दिनों में पूरा दरवाजा कीलों से भर गया.बदशक्ल दरवाजा दखकर बेटे को बड़ी  कोफ़्त हुई.वह फिर गया अपने पिता के पास और कहने लगा< " पिताजी सारा दरवाजा कीलों से ठुक गया है पर गुस्सा है की कम होता ही नहीं.
" ऐसा करो बेटा मन में ठान लो की गुस्सा नहीं करना है.जिस दिन गुस्सा न करो एक कील उखाड़ लेना." पिता ने इस बार दूसरी सलाह दी.बेटे ने वैसा ही किया.इस बार कुछ ज्यादा दिन लगे  पर दरवाजे से सारी कीलें उखड़ चुकी थी.अब वे दोनों दरवाजे के सामने थे.बेटा खुश था की मैंने अपने गुस्से पर काबू पा  लिया है.
             " बेटा देख रहे हो दरवाजे पर कीलों के भद्दे निशान!तुम्हारे गुस्से ने  इसे बदसूरत बना दिया..अब तुम्हे गुस्सा नहीं आता पर दरवाजा तो बदशक्ल हो गया न!उस पर बने निशान तो नहीं मिटे!जानते हो.. घर के दरवाजे की तरह हमारे दिल का दरवाजा होता है.गुस्से में आप़ा खोकर किसी को इतने बुरे शब्द न कहें की उसके दिल के दरवाजे पर ऐसे ही अमिट निशान बन जाएँ...
                        अपने गुस्से पर नियंत्रण रखना सीखें.प्लूटार्क ने कहा है,"क्रोध हंसी की हत्या कर ख़ुशी को नष्ट कर देता है.क्रोध उतना कारगर नहीं होता  जितना की साह्स.ग्यानी पुरुष या स्त्री का पतन भी क्रोध से ही होता है.गुस्से को अगर जीतना है तो शांति से जीतो.
               उनको आता है प्यार पे गुस्सा
                 हमको गुस्से पे प्यार  आता है
अमीर मीनाई की इस बात पर आप अगर यकीन करते हैं तो बड़ी अच्छी बात है.प्यार से ही गुस्से  की गरमी भाप बनकर उड़  जाएगी.पर एक बात जरूर है की हर उम्र के गुस्से का अंदाज-ए-बयां अलहदा होता है.अपने दद्दू का नाती मिंटू गुस्से में खिलौने तोड़ देता है.कोई गुस्से में आप़ा खोकर उल-जलूल बकने लगता है और शांत होने पर माफ़ी मांग लेता है.मुकेश गुस्से में आकर घर छोड़कर चला गया.मूर्ख स्नेह ने गुस्से में आकर खुद पर मिटटी तेल छिडक लिया.पति-पत्नी के बीच भी यदा कदा गुस्से का ज्वालामुखी फटता है.किशन को जब गुस्सा आता है वह खामोश रह जाता है.कुछ देर उसकी पत्नी राधा उबलकर ठंडी पड़ जाती है.बहरहाल आपकी महबूबा अगर गुस्से में हो तब यह सुनाना क्या बुरा है-
                       भवें तनती है खंजर  हाथ में है तन के बैठे हैं
                       किसी से आज बिगड़ी है जो वो  क्यूं बन के बैठे  है
सबसे खातारहम होता है भीड़ का गुस्सा क्योंकि उसका कोई चरित्र नहीं होता.गुस्से को विध्वंसात्मक होने की बजाये उसे क्रिएटिव दिशा में रूपांतरित किया जा सकता है बशर्ते आप चाहें.सुना है फ़्रांस के घरों और दफ्तरों में एक WRANGLE ROOM हुआ करता था.झगड़ने के लिए विशेष कमरे में जाया करते थे.किसी दफ्तर में सभी की मूर्तिया बना कर रख दी गहि थी.जब जिस किसी पर  गुस्सा आता था उसकी मूर्ती पर चप्पलें बरसाया करता. अगर यह भारत में होने लगे तब कहाँ किसकी मूर्ती के परखच्चे मिलेंगे यह सोचा जा सकता है.और हाँ, अगर बात किसी प्रेमी जोड़े के रूठने -मानाने की है तब फ़िराक साहब ने तो सारी बला हमपर टाल दी है इस  अंदाज में-
                        मान लो तुमसे रूठ जाये कोई
                            तुम भला किस तरह मनाओगे
तीन एजर्स का गुस्सा हमेशा उनकी नाक पर रहता है.नौजवानों का गुस्सा आत्म नियंत्रण के बगैर दिशाहीन, बेकाबू होकर अनहोनी तक पैदा कर देता है.खास तौर पर युवाओं को चाहिए की वे आलोचनाओं पर गुस्स्सा करने के बजाये चुनौती समझ कर कोई रचनात्मक लक्ष्य हासिल करें.अधिक गुस्सा करना भी कमजोरी का लक्षण है.इसे अपनी कमजोरी मत बनने दीजिये.जरा सोचिये आपके घर में गुस्सा कौन किस तरह से करता 
 है.और हाँ जब भी कोई गुस्सा हो जाये मन में यह बात आनी चाहिए की-
                   आपसे- हमसे रंज ही कैसा 
                   मुस्कुरा दीजिये , सफाई है...
                                                                                    अपना ख्याल रखिये....
                                                                                         किशोर दिवसे.
                                                                                      
                                  
                                   



                          

शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

" जाति -बंधन से लहू लुहान होते दिलों के रिश्ते.

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" जाति -बंधन से लहू लुहान होते दिलों के रिश्ते...

आंसुओं  के मोती झर-झर  के वहीँ पर गिरे जहाँ पर अखबार के कालम में ढेर सारे क्लासिफाइड छपे थे.- बंगाली वर चाहिए,सजातीय श्रीवास्तव.. जैन.. ब्रह्मण... पंजाबी ...मराठी.. आदि-आदि... वर चाहिए... जातिबंधन के नासूर ने रूही का दिल छलनी कर दिया था.वह  सोचने लगी,"," शादी तो दो दिलों का चिरंजीवी रिश्ता है .जाती की दीवारों से क्यों लोग इसे तंग कोठी  बना देते  हैं .क्या बुराई है रोहन में .सिर्फ सजातीय नहीं है बस!पर एमबीए है..अच्छी खासी सर्विस है तब पापा ने क्यों उसे खरी-खोटी सुनाई?शादी के बाद म्युचुअल अंडर स्टैंडिंग  जरूरी है या जाती के कैक्टस की लहू लुहान कर देने वाली बाड़!
                        दद्दू ने स्नेह से रूही के सर पर हाथ रखा और बोले,"बेटी तुम चिंता मत करो.रोहन से बेझिझक शादी  कर सकती हो.शादी के लिए सबसे जरूरी है आपसी सामंजस्य  और एक-दुसरे को उसकी अच्छाइयों और कमजोरियों के साथ स्वीकार करना.रहा सावल तुम्हारे पिता की नाराजगी का ,उन्हें मैं समझा लूँगा." रूही आश्वस्त होकर घर लौटी और थोड़ी देर में दद्दू तफरीह के लिए निकल पड़े.काफी हाउस के सामने एकाएक मुझपर निगाह पड़ी तब हम दोनों  काफी की टेबल पर थे.
                                  फ्राक पहन कर इठलाने नाचने से आज छाती पर ओधनी रखने की उम्र तक का वक्त मनो फुर्र से उड़ गया था.कल के पल-पल की यादों के साथ रूही का आज दद्दू के सामने था रूही का वही दर्द दद्दू की आँखों में छिपाए न छिप सका.  " आखिर जाती बंधन की दीवार से कब तक लहू लुहान होते रहेंगे दिलों के रिश्ते?बात सिर्फ रूही की नहीं.. नितिन... कंचन..दीपक.अभिषेक.. संजय या रश्मि..जाती बंधन की वजह से किसी का भी सपना क्यों टूटना चाहिए?
युवा और रूढ़िवादी बुजुर्वा -इन दो पीढ़ियों के बीच शादी के मामले में जतिबंधन शिथिल करने के सवाल पर समाज का केनवास दृश्यों का कोलाज दिखा रहा है.सपनों के टूटने से खुद्कुस्हीं करते युवा,थोपा हुआ फैसला मानने पर मजबूर नौजवान,ऐसे शेरदिल जिन्होंने सजातीय या विजातीय प्रेम विवाह सहमती या असहमति से किये.कोलाज के दृश्यों में कुछ अड़ियल बुजुर्ग हैं जिन्होंने नौजवान दिलों के रिश्ते अपनी जिद की सूली पर लटका दिए.आज की  आधुनिक जनरेशन से दोस्ताना सम्बन्ध चलने वाले माता -पिता भी हैं जो अपने-बेटे-बेटी की पसंद को कसौटी पर परख कर " स्वप्न नीड़ बनाने की हरी झंडी देते हैं सही मायने में जनरेशन गैप का भूत ऐसे परिवारों पर काला साया ओढाने का दुस्साहस कभी नहीं करता.
                               सांस लेने का नाम अगर जीना है साहिर
                               तो सांस लेने के अंदाज भी बदलते रहिये.
अंतरजातीय विवाह जरूरी नहीं लेकिन आज की पीढ़ी यदि प्रेमविवाह या जाती बंधन मुक्त विवाह की पक्षधर है तब सारे पूर्वाग्रह या दुराग्रह छोड़कर पीठ थपथपाने में देर क्यों होनी चाहिए?अब तो शेक्स्पीरियां मैरिज भी होने लगी है.जो सफल भी हैं.छत्तीस में से बत्तीस गुण मिलाने वाला युगल साड़ी जिंदगी लड़ते भिड़ते गुजर देता है. बिना कुंडली देखे विवाह करने वाले कई दंपत्ति समझदारी से बेहतर जिंदगी भी बिताते है. 
                        पुराने पड़ गए अब फेंक दो तुम
                          ये कचरा अब फेंक दो तुम
दो महीने यूं ही गुजर गए.एक रोज भरी दुफारी में दद्दू ने आकर बताया." खाना खाकर यूं ही सुस्ता रहा था.काल बेल बजने पर दरवाजा खोला तो सामने रूही ... साथ में युवक को देखकर समझने में देर नहीं लगी की वः रोहन ही है.रोम  रोम में बसी खुशियाँ अल्फाज बनकर फूट पड़ीं.उसने बताया मम्मी -पापा आखिर राजी हो गए.वे आने वाले थे लेकिन... उसकी आँखों की भीगी कोरों से मैंने पूरी इबारत पढ़ ली थी.
                       शादी का कार्ड देकर रूही ने दद्दू के पाँव छुए." जादू की झप्पी के बाद रोहन-रूही jb बीड़ा हुए दद्दू उन्हें ओझल होने तक देखते रहे.अलमारी में रखी अखबार की वह कतरन देखी  जो कभी रूही के आंसुओं  से भीग  गई  थी.भीगी आँखों से मुस्कुराकर  दद्दू ने दीवार पर टंगे केलेंडर पर सात नवम्बर की तारीख को लाल घेरे में समेट लिया. 
                                                      अपना ख्याल रखिये
                                                                               किशोर दिवसे 

          

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

पचपन बरस का होने पर......

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करिश्माई होती हैं दुआएं .उम्र पचपन की होने पर उम्रदराज होते जाने का मतलब बेहतर समझ में आने लगता है.अधिक जिम्मेदार होने की खुशियाँ और अदृश्य  दराज में रखी उम्र कितनी बची इसकी धुकधुकी भी...यानि कुछ खट्टा, कुछ मीठा.फिर भी फेस्बुकिया रिश्ते का एहसास अब मेरे मन को सम्मोहित कर चुका है.मेरे सभी अपनों के  जन्मदिन पर मेरे लिए भेजे बधाई  सन्देश निश्चित रूप से जिंदगी को हर पल अधिक ऊर्जा से जीने का हौसला देते हैं.फेसबुक परिवार का मेरा हर एक साथी  उम्र में छोटा हो या बड़ा ,मेरे दिल के भीतर मौजूद है.सब से सीखने की कोशिश की है मैंने.कभी छेड़ा है तो समझाया भी है.मन के भीतर भी सभी लोग बतियाते है मुझसे.मेरे जन्मदिन पर आप  सभी का प्यार सर आँखों पर.सच!कितना जादू है आपकी  दुआओं में!...महकता ही रहूँगा मैं आने वाले हर पल के दौरान....अपना बनायें रखें बस यही एक इल्तजा.    अपना ख्याल रखिये....प्यार  और आपके लिए हमेशा दुआओं सहित   -  किशोर दिवसे.