बोझ को बना लें डैनों का आत्मविश्वास
" बहुत पुरानी बात है जब भगवान ने बहुत सारे बोझ बनाये " दद्दू ने एक किंवदंती सुनाते हुए कहा," वे चाहते थे की इस तमाम बोझ को धरती पर एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाये.लिहाजा भगवन ने सभी जानवरों से इस काम मैं मदद करने को कहा.सभी जानवर भगवान् की इस बात पर ना-नुकुर करने लगे.
हाथी अपने-आपको बेहद प्रतिष्ठापूर्ण मानता था अ.और सिंह तो जंगल का राजा होने की वजह से वैसे भी गर्वोन्मत्त था.ऐसा ही रूख अमूमन सभी जानवरों ने प्रदर्शित किया.आखिरकार सभी परिंदे एक साथ मिलकर भगवान् के पास पहुंचे उनहोंने समवेत स्वर में कहा ," भगवान् जी!अगर आप सभी बोझ छोटे-छोटे गट्ठरों में बंधकर रख देंगे तब हम सब उन्हें आप जहाँ चाहते हैं वहां पर पहुंचा सकते हैं.हम लोग दिखने में छोटे जरूर हैं लेकिन आपका काम करने में हमें अत्यंत प्रसन्नता होगी.
भगवान् ने परिंदों की बातें बड़े ध्यान से सुनीं और हर परिंदे की पीठ पर छोटे -छोटे बोझ बांध दिए.सारे परिंदे अपने गंतव्य पर रवाना हो गए. रास्ते भर ख़ुशी से वे गाते जा रहे थे . इसलिए बोझ की वजह से उनहोंने ज़रा सी भी थकान महसूस नहीं की.दिन-ब- दिन पीठ पर लदा बोझ इन परिंदों को हल्का और हल्का लगने लगा.धीरे-धीरे बोझ लेकर वे आराम से चलने लगे.पहले उन्हें वही बोझ कुछ भारी लग रहा था.जब वे परिंदे निर्दिष्ट गंतव्य स्थल पर पहुंचे बोझ पीठ से हटाने के बाद उनहोंने देखा की उनके छोटे-छोटे पंख विशाल डैनों में बदल चुके हैं.वे डैने इतने बड़े थे की परिंदे अब आकाश में बहुत ऊंचाई तक उड़ सकते थे.पेड़ की गगन चुम्बी फुनगियों पर भी बैठने में अब सक्षम थे.
परिंदों ने महसूस किया की बोझ अब बिलकुल नहीं रहा छोटे -छोटे बोझ ही डैने बन गए थे.उन डैनों से उड़कर वे भगवान् तक पहुँच सकते थे.प्रोफ़ेसर प्यारेलाल ने जब दद्दू के मुंह से यह किंवदंती सुनी ,बात उनकी समझ में आ गई.उनहोंने कहा," बोझ को अगर हम चाहे तो आत्मविश्वास के डैनों में तब्दील कर सकते है."
चाहे कोई काम हो या जिम्मेदारी अगर हम रुचि या रुझान दिखाकर पूरा कर रहे हों तब तहे दिल से किया गया काम हमेशा सफलता की और अग्रसर करता है..बोझ ,डैनों का आत्मविश्वास बनकर इतनी खुशियाँ प्रदान करता है जिसकी पहले हमने कभी कल्पना भी नहीं की होती है.
आज इतना ही... अपना ख्याल रखे.
किशोर दिवसे
मोबाइल 09827471743
4:11 am
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