शुक्रवार, 3 जून 2011

हमें उनके गुस्से पे प्यार आता है...

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हमें उनके गुस्से पे प्यार आता है...


*  क्रोध समझदारी को बाहर निकाल  देता है और दरवाजे की चटखनी लगा देता है -प्लूटार्क 
* क्रोध हंसी की हत्या करता है और ख़ुशी को नष्ट कर देता है -तिरुवल्लुवर 
*क्रोध इतना कारगर नहीं होता जितना साहस-यह एक फ़्रांसिसी कहावत है खैर .. महापुरुषों ने भी यह बात कही है.सच्चाई  की कसौटी पर आपने भी इसे सहज परखा होगा.
                        दद्दू के चेहरे पर हवाइयां  उडती देख हम समझ गए थे कि दाल में कुछ काला है.दुम दबाकर बातचीत करने के अंदाज से जाहिर था सुबह-सुबह भाभीजी ने अच्छा खासा डोज पिला दिया है.शाम को सब्जी और बेटे की पुस्तक लाना भूल गए. गपबाजी  के चक्कर में .गुस्से का बम फटा सुबह और धमाके ने दद्दू को सीधे मेरे घर ला टपकाया.अमूमन ऐसा  ही होता आया है.
                       चाय की चुस्कियों के साथ टोपिक मिल गया था दद्दू को " ढील देने"का." पत्रकार भाई!बीबी का गुस्सा ... कभी बच्चों का गुस्सा सड़कों पर तमाशा करते लोगों का गुस्सा ... इस गुस्से का कोई हल है या नहीं?"दद्दू ने गुस्से  पर बातचीत का न्यौता देते हुए कहा,"मैं कई  बार सोचता हूँ गुस्सा न करुं पर क्या करुं रोक ही नहीं पाता."
" देखो दद्दू!गुस्से के कई  कारण हो सकते हैं.दूसरों की हरकतें या फिर भीतरी तनाव भी.यह अलग बात है कि गुस्से का गुब्बारा फूले रहने की  मियाद हर किसी की अलग-अलग होती है.यही नहीं गुस्सा आने पर कौन कैसी हरकत करता है यह भी रोचक है और कंट्रोल न होने पर दुखदायी किस्से भी बन जाते हैं.अपने घर या बाहर क्रोध के आवेश में की जाने वाली शारीरिक और जुबानी हरकतों पर गौर कीजिए कई बातें समझ में खुद बा  खुद आ जाएँगी."-मैंने दद्दू की बात को आगे बढाया.
                     मै गुस्सा आने पर पहले समझाता हूँ.अग्र्र सामने वाला अपनी बुद्धि के  किवाड़ बंद कर लेता है तो में अपने काम में लग जाता हूं या फिर अखबार या पुस्तक में सर गडा लेता हूँ.आप क्या करते है?कई लोग दुर्वासा मुनि की तरह आग-बबूला होते हैं और महिलाएं ले लेती है दुर्गावतार.गुस्सा  जब पूरी तरह बेकाबू हो जाता है और अपने -अपने फ्यूज उड़ जाते हैं तब मुझे मालूम है कई लोग लड़ने भिड
 जाते हैं .हाथ में रखी हुई चीज फेंक-फांक करते हैं.विधानसभा और संसद में गुस्साए -पगलाए नेताओं की भड़ास टीवी पर आपने देखी होगी.गुस्से में होने वाले अपराधों का जिक्र अखबार पढने वालों से करना बेमानी होगा.गुस्सा अपनी कमजोरी का सुबूत भी है." यह सब तो ठीक है लेकिन गुस्से पर काबू तो नहीं रहता  आखिर  रोकें कैसे?"दद्दू यूं पूछने लगे मानो मैं कोई मनो चिकित्सक हूँ .फिर  भी मेरी एक मनोवैज्ञानिक दोस्त रोजी फर्नांडीज की बातें मुझे याद हैं.वह अक्सर कहा करती है जब भी गुस्सा आये रिएक्ट करने से पहले एक पल रुक जाओ.यदि ऐसा हुआ तो उसी पल उसमें आपका " विवेक" शामिल हो जायेगा.यही विवेक आपको कुछ गलत करने से बचा लेगा."डिप्लोमेसी के जरिये गुस्से से बचा जा सकता है.
                    "बच्चे,औरतें, नौजवान और बूढ़े गुस्से में अलहदा तरीके से प्रतिक्रिया जताते हैं.टीनेजर्स के मन में सबसे अधिक गुस्सा  भरा होता है. . लिहाजा उन्हें सबसे  अधिक  समझने की जरूरत है.रिएक्शन का तरीका घर और बाहर वालों के सामने बदलता रहता है.गुस्सा विध्वंसकारी हो सकता है.लेकिन इसका सुनियोजित रचनात्मक उपयोग भी बखूबी  किया जा सकता है. "-दद्दू इन बातो के साथ अपने इंटेलिजेंट होने का दावा पेश कर रहे थे कि अपने दोस्तों और सहेलियों के साथ टीवी देख रही मेरी बेटी ने आकर पहले तो दद्दू को नमस्ते किया फिर कहा,"पापा! वक्त फिल्म देखी है आपने?अक्षय कुमार को पापा बने अमिताभ बच्चन घर से बाहर निकल देते हैं ताकि वह सुधर जाये.गुस्से में वह कुछ बनने की राह पर चल पड़ता है."
                   मै दद्दू की और देखता हूँ और हम दोनों अर्थपूर्ण मुस्कान के साथ बातचीत में लग जाते हैं.फिल्मों और सामाजिक जीवन में भी गुस्से का गुब्बारा मन में फुलाकर घर से निकल जाने और कुछ बनने का संकल्प पूरा करने के कई एपिसोड सामने आये है.गुस्से ने ही अमिताभ को " एंग्री यंग मैन" की  इमेज के साथ बाक्स ऑफिस पर हिट फ़िल्में दी.अपने मन के भीतर गुस्से का उबाल लिए दुष्यंत ने लिखा है-
                              यहाँ तो सिर्फ गूंगे और बहरे लोग ही बसते है 
                              खुद जाने  यहाँ पर किस तरह जलसा हुआ होगा
खुदा और भगवन दोनों ने ही समझाइश दी है ," ज्ञानी पुरुष का पतन क्रोध से होता है "और "क्रोध मूर्खता से शुरू होकर पश्ताताप में समाप्त होता है.".पर कोई इन नसीहतों पर  अमल भी तो करे!" गुस्से  का भूत स्वर होते ही इस बात का ध्यान ही कहाँ रह जाता है की इससे किसी को ठेस तो नहीं पहुच रही है!.. और हाँ अगर शारीरिक क्षति हो रही है तब तो निश्चित रूप से ऐसा गुस्सा अपराध है.
                            दद्दू को अचानक याद आ गए गुस्सा पी जाने ,गुस्से से लाल -पीला होने और गुस्से के मारे आँखों में खून उतर आने के मुहावरे.मुझे भी याद  थी वह फिल्म " मुन्ना भाई  एम् बी बी एस"  जिसमें डीन का किरदार निभाने वाले अभिनेता बोमन ईरानी गुस्से में होने पर अलहदा अंदाज में हँसते है.
   इधर मैं और दद्दू कुछ देर ख़बरें टीवी पर देखते रहे और ब्रेक के दरम्यान अचानक कानों में आवाज सुनाई दी .श्रीमती जी अपनी सहेली से कह रही थीं -
                        उनको आता है हमारे प्यार पे गुस्सा
                        हमें उनके गुस्से पे प्यार आता है
  गुस्से और प्यार के रिश्ते के भी अनेक पहलू हैं .फिर भी आईने की तरह साफ़ बात यह है कि गुस्सा अनेक बीमारियों की जड़ है इसलिए इस पर नियंत्रण जरूरी है.आपको गुस्सा अधिक आता है तब मनोचिकित्सक से परामर्श लेने में झिझक मत महसूस कीजिए.अचानक ही बात रोककर दद्दू ने फिर अपनी चोंच खोली,"," पर अखबार नवीस,आप लोग बड़े शातिर हो .सामने  वाले को गुस्सा दिलाकर खूब मजे लेते हो .लेकिन ये नेता  भी कुछ कम नहीं जो दांत निपोरकर कई दफे आपकी चाल से बच निकलते हैं.मैंने कहा " नो कमेन्ट". खैर !... गुस्से में आप क्या करते  है इसका जिक्र जरूर कीजिएगा!!!!!  
                          
                        
                          



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1 टिप्पणी:

  1. यहाँ तो सिर्फ गूंगे और बहरे लोग ही बसते है
    खुद जाने यहाँ पर किस तरह जलसा हुआ होगा

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