कचरे में मिली नेत्रदान की 2000 आँखें ,महादान अभियान की मिट्टीपलीत!
बेहद शर्मनाक घटना। साथ में चिकित्सकीय तथा नेत्र दान से जुड़ी संस्थाओं के लिए विचारणीय भी। देश व्यापी अभियान चल रहा हैं नेत्र दान -महादान का। यह मामला है हरियाणा के पीजीआईएमएस को नेत्र दान की गई 2000 आँखें कूड़ेदान में मिलीं। ऐसा क्यों हुआ?दलील दी जा रही है की दान की गई आँखों का समय पर इस्तेमाल नहीं किये जाने की वजह से वे खराब हो गई। इन्हें कचरे में फेक देना पड़ा।
नेत्रदान-महादान से पहले क्या मेडिकल क्राइसिस मैनेजमेंट ने इसपर कुछ नहीं सोचा कि अगर नेत्र प्रत्यारोपित करने के लिए रिसीवर न मिले तो उसे कैसे सुरक्षित रखा जाये ? या फिर दीगर जगहों पर जरूरत मन्दो के लिए भेजने का इन्तेजाम किया जा सके?अब सवाल यह है की इस प्रकरण का दोषी कौन? यह दुर्घटना फिर न हो इसके लिए मेडिकल साइंस और जुड़े हुए डॉक्टर क्या रणनीति बनायेंगे और कब? भावनात्मक रूप से सोचा जाये तो ऐसी घटना अगर दुहराई गई तब नेत्रदान के प्रति देशव्यापी जागरूकता के अभियान की क्या मिटटी पलीत नहीं होगी? नेत्रदान संस्थाएं ,आइएमए और चिकित्सक तबका इसपर सक्रीय हस्तक्षेप करे. सभी राज्यों को इस गम्भीर मुद्दे पर जल्द ही सोचकर जरूरी कदम उठाने होंगे
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