गुरुवार, 11 नवंबर 2010

संगीत का करिश्मा

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तेरे मेरे ओठों पे ,मीठे-मीठे गीत मितवा 

*जिस इंसान के भीतर संगीत नहीं ... मीठी धुन से जो स्पंदित नहीं होता वह मुर्दा दिल ,बेजान छला जाने वाला तथा विश्वासघात करने लायक है-शेक्सपीयर 
*जिस गीत को गाने मै इस धरती पर आया हू वह आज तक अगेय है सारा जीवन मै अपने वाद्य यंत्र के तंतुओं को ही तालबद्ध करता रहा-रविन्द्र नाथ टेगोर 
*संगीत, अध्यात्म और संवेदना से भरी जिंदगी की मध्यस्थ कड़ी है -बीथोवेन 
 "पुराने ज़माने में राजा-महाराजाओं के दरबार गीत-संगीत की महफ़िल से गुलजार क्यों रहा करते थे?शौक ... रुबाब या तनाव दूर करने का तरीका था यह?
"भाई दद्दू!उनकी बात तो वे ही जानें पर एक बात तो सच है कि अंग्रेजी कि कहावत पर यदि गौर करें तो यही कहा गया है कि "आ हेड विथ क्राउन इज रेस्टलेस " यानी राजा का तनाव वही जान सकता है.तब हो सकता है किउनके लिए भी गीत-संगीत तनाव मुक्ति का जरिया हो!
राजाओं क़ी बातें तो अब बीते ज़माने क़ी हुई जो अब इतिहास क़ी पुस्तकों के पन्नों पर हैं लेकिन आज तो भैये जिंदगी का दूसरा नाम ही टेंशन हो गया है .
                             "जिधर देखो भाग-दौड़  क़ी जिंदगी में एक ही बात हर किसी का तकिया -कलाम टेंशन है!" दद्दू इसका खुलासा करते हुए कहते हैं,"बच्चों को पढाई का ...पुरुष को नौकरी का..बिजनेसमेन को धंधे का...महिला अगर कामकाजी हो तब दफ्तर -घर दोनों जगह का और गृहिणी हो तब घर का तो है ही.परिवार में रिश्तेदारी का ... किसम-किसम के टेंशन अनगिनत... लेकिन इनसे निपटने के तरीके भी ढेर सारे हो गए हैं.
                               आपसे पूछूँगा तो सिनेमा,टीवी ,पिकनिक ,आउटिंग,खेल,पेंटिंग आदि लाइन से गिनने लगेंगे.लेकिन सबसे नायब तरीका है गीत-संगीत.बिलकुल जरूरी नहीं कि आपकी आवाज किशोर कुमार ,लता आशा या आज के दौर के किसी पार्श्व गायक / गायिका क़ी तरह हो.आप अव्वल दर्जे के बाथरूम सिंगर बन जाइए ,तनाव मुक्त होने लगेंगे.
                               थकान से चूर हैं ? रेडिओ प़र गाने  सुनिए ,टेप-सीडी पर गीत-संगीत सुनिए अपनी पसंद का .गायब हो जाएगी सारी थकान.आजकल बच्चों को देखा है कंप्यूटर पर लोड किए हुए गाने लगाकर पढ़ते रहते हैं .हमारे ज़माने में कस के डांट पड़ जाती थी.लगता है गीत-संगीत के बीच पढाई के भूत का भय क्म हो जाता होगा, तनाव क्म महसूस  करते होंगे छात्र . .    "संगीत पैगम्बर का करिश्मा है,धरती का विप्लव और व्याकुलता ... यह खुदाई सौगातों में नायब और बेनजीर तोहफा है "लूथर ने संगीत क़ी इन शब्दों से पूजा क़ी है.कोयल क़ी कूक ... मैना क़ी सुरीली आवाज .. तोते क़ी टें टें.. झरनों क़ी कल कल ... पत्तों क़ी सरसराहट ... बैलों के गले में लटकती घंटियों क़ी ध्वनी ... गोधुली में लौटते मवेशियों क़ी पदचाप ... प्रकृति के रोम-रोम में गीत- संगीत समाया है.इसलिए प्रकृति तनावमुक्त है और उसके सहज संगीत से छेड़खानी करने वाले हम सब इतने तनाव और अवसाद से भरे हुए.ख़ुशी-गम,करुना-उल्लास ,कामेडी ,गीत-संगीत हर मूड का है.यह तनाव से आहत क़ी राहत है.आप तनाव में हैं?किसी नन्हे बच्चे क़ी खिलखिलाहट सुन लीजिए ... ऐसा लगेगा मानो सैकड़ों बांसुरियों से एक साथ सरगम गूंजने लगे हैं..लगा दीजिए अपने माँ को भाने वाला कोई संगीत यूँ लगेगा जैसे मन क़ी धरी पर लगी अमरैया में  गूँज रही है कूहू... कूहू.!किसी जल धारा क़ी कल-कल या पायल क़ी छम-छम...!
              देखा नहीं,पढ़ा और सुना है क़ी तानसेन के संगीत में ऐसा जादू था क़ी दीपक राग अलापते ही दीप जल उठते थे अथवा मेघ मल्हार क़ी तन छेड़ते ही टप...टप.टप ..टप...वर्षा क़ी फुहारें होने लगती थीं.पर बात कहीं गलत नहीं लगती.खास तौर पर ऐसे वक्त जब गीत-संगीत "थेरपी"यानी इलाज का एक कारगर साबित होने लगा है.
          अभी उस रोज पप्पू बता रहा था अपने दोस्त को,"अबे आजकल विदेशों में और शायद भारत में भी डेयरी में भैसों को दुहने से पहले एक विशेष संगीत लगाते हैं जिससे वे अधिक दूध देती हैं.खेतों में भी संगीत के जरिए पौधों का विकास अधिक देखा गया है.दफ्तरों  में भी धीमा संगीत कार्यक्षमता को बढ़ता देखा गया है."
      अरे भाई जिसे जो पसंद है वो गए और सुने.बस... को अच्छा लगना चाहिए.कोई भी संगीत बुरा नहीं है.शास्त्रीय,पश्चिमी,जाज रैप म्यूजिक ... सब का अपना ध्वनी शास्त्र है.और प्रभाव क्षमता भी.सवाल यह है कि किस व्यक्ति की मेंटल फ्रीक्वेंसी के साथ कौन सा गीत या संगीत तारतम्य बिठा पाता है 
                दद्दू बीच में टोककर बोले,"छत्तीसगढ़ में भी तो एक से एक बढ़कर संगीतकार हैं वे संगीत थेरपी पर क्यों शोध नहीं करते?राग आनंद भैरवी में निबद्ध गीत हृदय रोग  विशेषकर उच्च रक्त चाप के मरीजों पर लाभदायक सिद्ध हुए हैं.राग यमन का विशिष्ट प्रभाव वात,पित्त  एवं  कफ़ के दोषों पर स्पष्ट है.खैर.. यह तो दूर कि बात है लेकिन गीत-संगीत तो सुनना अपने बस में ही है ना!तब तो आज से ही जब भी फुर्सत मिले खूब गाइए... मन पसंद गीत सुनिए ... सुनाइए .शेख सादी ने कहा है संगीत का दूसरा नाम संजीवनी है.यह भी कहा गया है कि जिस मनुष्य की आत्मा में संगीत नहीं है उसका विश्वास मत करो.
                   गीत-संगीत कि दुनिया से जुड़ने के लिए दोस्तों ... कोई पहाड़ नहीं तोडना है.बैठ जाइए परिवार के जितने भी सदस्य हैं एक साथ (समय आप तय कीजिए )और हो जाइए  शुरू 
                                   समय बिताने के  लिए करना है कुछ काम
                                    शुरू करो अन्त्याक्षरी लेकर प्रभु का नाम.
   चलो!"म " अक्षर से सुनाओ अब कोई गाना!!!!!!
                                       शब्बा खैर... शुभ रात्रि... अपना ख्याल रखिए.
                                                      

                   किशोर दिवसे     ई मेल     kishore_diwase@yahoo.com


















1 टिप्पणी:

  1. जो गाये वो तानसेन
    जो सुने वो कानसेन
    जो न गाये न सुने वो इन्सेन

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