गुरुवार, 18 नवंबर 2010

गाजर अंडा या काफी..आप किस तासीर के हैं

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"मांssssss   जिंदगी में मुझे हर काम इतना कठिन क्यों लगता है ? जो चाहती हूँ उसे हासिल नहीं कर पाती",परेशां होकर संज्ञा ने अपना दुःख मां के सामने रखते  हुए कहा,"माँ  ssss जिंदगी से संघर्ष करते-करते थक चुकी हूँ.ऐसा लगता है के समस्याएँ मेरे लिए ही बनी है इसलिए  ही एक मसला हल होता है दूसरा तैयार हो जाता है."
                  संज्ञा अपनी जिंदगी के झंझावातों से हार मानने  की स्थिति में थी..लेकिन उसे पूरा भरोसा था उसकी मां कोई न कोई राह जरूर दिखाएगी.और हुआ भी यही.... माँ ,संज्ञा को किचन में ले गई.उसने तीन प्यालियाँ लेकर उन्हें पानी से भर दिया.फिर उन तीनों प्यालियों को तेज आंच पर रख दिया .जल्द ही तीनों प्यालियों का पानी खौलने लगा.संज्ञा ने पहली प्याली  में गाजर ,दूसरी में अंडे और तीसरी में काफी के पिसे हुए बीज रखे.जब तक उन प्यालियों का पानी उबल रहा था संज्ञा की मां ने कोई बात नहीं की.
 अमूमन बीस मिनट तक उबलने के बाद स्टोव बंद कर दिया गया.पहली प्याली से गाजर  बाहर निकाले और एक  बाऊल में रख दिए.दूसरी प्याली से अंडे निकालकर उन्हें भी अलग प्याली में रखा .काफी तीसरी प्याली से निकालकर उसे भी अलग रकाबी में रख दी .अब संज्ञा की ओर मुड़कर मां ने पूछा ,"संज्ञा बेटी ! अब तुम ही  बताओ   कि तुम्हे क्या दिखाई दे रहा है"
                 " गाजर , अंडे और काफी" तपाक से संज्ञा ने जवाब दिया.संज्ञा की  मां ने उससे कहा ,"बेटी!जरा नजदीक आकर इन गाजरों को छू कर देखो.उसने ऐसा ही किया.उसे महसूस हुआ कि गाजर अत्यंत नर्म हो चुके थे.फिर माँ ने कहा ,संज्ञा बेटी! यह  अंडा लेकर उसे तोड़कर देखो."अंडे का छिलका निकालने के बाद संज्ञा ने देखा के वह उबलने के बाद सख्त हो चुका था.अंत में मां ने संज्ञा से कहा,"संज्ञा बेटी! , जरा एक घूँट काफी पीकर देखो."मां!कितनी खुशबू और स्वाद है इस काफी में "संज्ञा ने फ़ौरन अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की.
                      " मां    sssss  इन सब का मतलब समझ में नहीं आया  "  संज्ञा ने मंतव्य न समझकर उसे समझने मां के गले में अपनी बाहें डाल दी..  .जिंदगी के अनुभवों की धूप ने संज्ञा की  माँ के सर के केशों में चांदी की रंगत घोल दी थी.मां ने अपने अनुभव की बात कहनी शुरू की, "संज्ञा .... तुम जानती हो तीनों प्यालियों ने एक जैसी विपरीत परिस्थितियों से संघर्ष किया.यह चुनौती थी खौलने की.फिर भी प्रत्येक ने अपनी रिएक्शन अलहदा तरीके से व्यक्त की.गाजर मजबूत ,सख्त और लिजलिजेपन से मुक्त था.लेकिन गरम पानी में उबलकर वह नर्म और कमजोर हो गया.उबलने से पहले अंडा कभी भी टूटने की स्थिति में था.बाद में इसके बाहरी खोल ने भीतर में मौजूद सब कुछ सुरक्षित बचा लिया.लेकिन उबलते पानी ने इसे अन्दर से एकदम सख्त बना दिया था.वैसे काफी के पिसे हुए बीज चौंकाने वाले रहे.उबलते पानी में रहने के बाद उन्होंने पानी का रंग ही बदल डाला.
                           "तुम कौन हो" मां ने संज्ञा से जब एकाएक पूछा तब वह भौचक थी.संज्ञा को अवाक् देखकर मनन ने उससे पूछा ,संज्ञा!जब विप्रीप परिस्थितियां या जिंदगी की चुनौतियों ने तुम्हारे दरवाजे पर दस्तक दी तब तुमने किस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त की?गाजर, अंडे या  काफी... किस चीज की तरह तुम्हारी तासीर दिखाई दी?
                             संज्ञा तुम्हें ही नहीं हम सब को इस बारे में सोचना  चाहिए कि इनमें से मैं क्या हूँ!क्या मैं गाजर की तरह हूँ जो बाहर से मजबूत दिखाई देते है लेकिन संघर्ष और विपरीत  परिस्थितियों (गरम पानी )के सामने क्या में लिजलिजा और नर्म होकर अपनी ताकत और मजबूती खो बैठता हूँ?
                             क्या मैं अंडे की तरह हूँ जो सामान्य स्थिति मैं जरा से भी धक्के  से टूट सकता है लेकिन गरम पानी में खौलकर जिंदगी के संघर्ष से जूझकर  सख्त हो जाता हूँ.? क्या मेरी आत्मा द्रव रूप में थी लेकिन किसी की मौत ,दिल पर कोई जख्म लगने पर या आर्थिक परेशानियों अथवा दीगे चुनौतियों का सामना कर अधिक दमदार और मजबूत इच्छा शक्ति का प्रतीक हो गई?
                            इसी बीच मां-बेटी की बातों को गौर से सुनते पर अब तक खामोश बैठे दद्दू बोले,'अरे संज्ञा!आपकी मां ठीक कह रही हैं .हम सबको यह महसूस करना होगा की क्या मेरा बाहरी सोच कुछ और है लेकिन भीतर से मैं कडवा और सख्त हूँ?क्या मेरे विचार कठोर और मन के समय के अनुरूप परिवर्तनशील नहीं हैं? या क्या मैं काफी के उन पिसे हुए बीजों की तरह हूँ ?दरअसल काफी का पाउडर गरम पानी का रंग ही बदल देता है.यानी दूसरे शब्दों में अगर कहा जाए तब जिंदगी में दर्द ,परेशानियाँ और चुनौतियाँ पैदा करने वाली परिस्थितियां .जब पानी खुलता है मेरा आत्मा ,जमीर या सोच से वह महक ,सचाई ,ईमानदारी और मेहनत की खुशबुएँ उडती हैं .
                           " संज्ञा बेटी!,दद्दू ने उसे समझाया ," अगर तुम काफी की तरह हो तब जिंदगी की कठिन चुनौतियों और विषम परिस्थितियों के बावजूद तुम भीतर से श्रेष्ठतम हो जाते हो और अपने इर्द-गिर्द मौजूद सारी परिस्थितियां अपनी क्षमता से बदलने में कामयाब रहते हो."
                           "हाँ बेटी "... सच कह रहे है तुम्हारे दद्दू चाचा,,"जब कभी समस्याओं या चुनौतियों का घुप्प अँधेरा छाया हो और चुनौतियाँ शिखर छूने लगे क्या तुममें यह क्षमता है की अपने श्रेष्ठतम स्तर पर तुम स्वतः को स्थापित कर सकते हो?
आखिर जिंदगी के संघर्ष को किस तरह की रणनीति बनाकर काबू में कर लोगे?बस....एक ही शब्द में अब आप सभी लोग अपने परिवार केछोटे -बड़े सभी सदस्यों से  पूछिए कि ," आप  की शख्सियत कैसी है-    गाजर, अंडा या काफी........  ??????????


                                                             किशोर  दिवसे 

1 टिप्पणी:

  1. "मांssssss जिंदगी में मुझे हर काम इतना कठिन क्यों लगता है ? जो चाहती हूँ उसे हासिल नहीं कर पाती",परेशां होकर संज्ञा ने अपना दुःख मां के सामने रखते हुए कहा,"माँ ssss जिंदगी से संघर्ष करते-करते थक चुकी हूँ.ऐसा लगता है के समस्याएँ मेरे लिए ही बनी है इसलिए ही एक मसला हल होता है दूसरा तैयार हो जाता है."

    aisi situation sabhi ladkio ki zindgi mai aati hai..iska hal mere pas ek hi hota hai..chup rehker kaam karo

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