रविवार, 26 सितंबर 2010

एक चेहरे पे कई चेहरे लेते है लोग

Posted by with 1 comment
" शेख चिल्ली कही के ... तेरी ओकात क्या है?अगर तुझमे इतनी ही हिम्मत होती तब खुद को छिपा कर मुझे काहे ओढ़ लेता !"" देख बकवास मत कर... बेगैरत होंगे तुझे ओढने वाले ... मै नहीं फटकता तेरे पास जरा भी. भला किसको नहीं मालूम के अगर किसी ने तुझे नोच लिया तब सब कुछ उजागर हो जायेगा.... दूध का दूध और पानी का पानी...."
चेहरे और मुखोटे के बीच अंतर द्वन्द चल रहा था.दोनों ही एक दुसरे को हीचा दिखने पर तुले हुए थे.मुखोटा अपने बहुमत की वजह से दम्भोक्ति कर रहा था और चेहरा मायूसी के सदमे से कुछ पल के लिए पहले मुरझाता फिर अपनी देह के अंतर ताप से ओजस्वी बनकर प्रखर हो उठता.
" मुझे नहीं, .. शर्म तो तुझे आणि चाहिए, यह तो मेरी जिंदगी की व्यावहारिक मजबूरी है जो मुझे तेरा साथ लेना पद रहा है.तू तो सिर्फ वक्त की जरूरत है- यूज एंड थ्रो ! मेरा पारदर्शी पण काल जाई  है, शाश्वत!  तमतमाया चेहरा पूरे तीखेपन परंतू सोजन्यता से मुखोटे पर वक् प्रहार कर रहा था.
                      यकायक दोस्ती का दावा करने वाली एक बड़ी मछली बड़ा सा मुह खोलकर छोटी मछली को निगल जाती है.उसे कोई मोका है नहीं मिलता दोस्त- दुश्मन का मुखोटा परखने का.बाकी कुछ मछलिया दरी सहमी सी एक कोने में बाते करने लग जाती है . घर में रखे शीशे के मछली घर से निगाहे हटाकर पल भर के लिए आँखे मूंदने पर सारी दुनिया का रंगमंच जिंदगी  की शक्ल में सामने उभरता है.
  " एक चहेरे पे कई चेहरे लगा लेते है लोग"
चेहरे नहीं शायद मुखोटे कहना अधिक सटीक होगा.इस काल खंड का यह क्रानिक फिनामिना लग रहा है . अपनी जरूरतों के हिसाब से चेहरे पर मुखोटा फिट कर लो.हर बेईमान के लिए इमानदार का, पापी के लिए धर्मत्त्मा का,सियार के लिए शेर का मुखोटा या खाल तैयार है.ओढने या ओढाने वाले दोनो किस्म के लोग  है लेकिन 
                         सचाई छूप नहीं बनवात के उसूलो से ,के खुश्बू आ नहीं सकती कभी कागज के फूलो से.
मुखोटो की बाजारू दुनिया  में परफ्यूम छिडके कागज के फूलो से सुगंध काफूर होने में देर नहीं लगती.ठीक उसी तरह्बनावत के उसूल भी इसे उजागर होते है जैसे पानी में किया गया पाखाना .पर अहि चेहरे और मुखोटो का संघर्ष चल रहा है.
आज का दिन मेरा है ... गरजकर मुखोटा डरा रहा है चेहरे और चेहरों को... मुखोटो के साथ साथ रहकर कुछ इंसान अपना चेहरा तक भूल गए है."
         " कल मेरा सच जब सामने आएगा जब  मै जगमगाने लगूंगा... चेहरा यह सोचकर मायूसी पर काबू पाने की कोशिश करता है "" घमंडी मुखोटो की सल्तनत अपनी छद्म छवि की आतिश बाजियों परा इतरा रही है " चेहरों का कुनबा अपनी पीड़ा छिपाकर " वो सुबह  कभी तो आएगी " यही सोचकर तमाम लांछन सहकर भी ." ईश्वरीय न्याय के प्रति आश्वस्त है.
चेहरों का सच और मुखोटो के फरेब को समझकर अनदेखा करने वाले इस बात को जान ले की, सच्चाइया दबी कहा है झूठ से  जनाब  , कागज़ की नाव कहिये समंदर में कब चली?

दुनिया के समंदर में भी अपनी- अपनी इमेज या छवि को लेकर भी चेहरों के कुनबे और मुखोटो की सल्तनत में छिड़ी है जंग.घाट प्रतिघात के अनेक मोके और यलगार के दृश्य जिन्दागे के केनवास पर रोजाना देख रहे है हम लोग.छवियो को बनाने- बिगाड़ने , धवल और मलिन करने के सायास कर्मकांड दैनन्दिनी के जीवन चलचित्र का अनिवार्य हिस्सा बन चुके है.
     बहरहाल, चेहरे और मुखोटो के बीच जारी है  अनथक  अंतर द्वन्द और इस महासमर के रन बाकुरे है आप और हम सब . सवाल इस बात का है की किसके लिए कब, कौन ,कहाँ ,कैसे , और किस तरह का आइना दिखता है.और आइना देखने और सिखाने के बाद चेहरों और मुखोटो के पवित्रीकरण की प्रक्रिया किस तरह शुरू होती है.
        कुनबा और सल्तनत ... निजाम तो दोनों के एक ही है.चेहरे एउर मुखोटे दोनों ही जिंदगी की सच्चाई है. आईने में अपना चेहरा देखना आज की जरूरत है .फिर भी,... कब जाओगे आईने के सामने?शायद यह बात मन के किसी कोने से गूंजेगी सभी के भीतर
        जाने कैसी उंगलिया है, जाने क्या अंदाज है
        तुमने पत्तो को छुआ था , जड़ हिलाकर फेक दी 
  सच चाईया


Related Posts:

  • HIndi Divas Par......... Read More
  • ईमानदार लकडहारा और प्रियंका चोपड़ा .. ..आफत कब कौन सा चेहरा लेकर आपके या हमारे सामने आ जाए कुछ नहीं कहा जा सकता.जिंदगी में कई बार यह महसूस भी किया होगा.सुनो एक लकडहारे का किस्सा.नदी के किनारे वह पेड़ पर लकड़ियाँ काट रहा था.अचानक कुल्हा… Read More
  • BUCK UP DHONI BRIGADE!!!!!!!!!!!!मैच जीतकर मुह मीठा कर लिया.खुशिया भी मना ली. धोनी ब्रिगेड को बधाई....  मोहाली का महायुद्ध ,भारत-पाक सेमीफाइनल किसी भी सूरते हाल में फाइनल से  कम रोमांचक नहीं था. बावजूद इसके खिताबी मुकाबला उ… Read More
  • नन्ही परी का सुनहरा जिल्द लगा बक्सा ..बेवकूफ कहीं की !इतना खूबसूरत सुनहरा जिल्द तुमने बर्बाद कर दिया... वह भी एक जिल्द लगाने के लिए!" तीन बरस की नन्ही मासूम को उसके पिता ने जोरदार डांट पिलाई .उस मासूम ने सुनहरा जिल्द एक बक्से पर लगा … Read More
  • चुटकी भर गुलाल-1रंग भरे मौसम से रंग चुरा के...(चौराहे पर मजमा फिट है.बच्चे...जवान और बुजुर्ग ... छोकरे और छोकरियाँ सभी मजमा देखने में फिट हैं.तभी तो उस्ताद का मजमा हिट है भाई! ये मजमा होली के दौरान का है.भीड़ में मौज… Read More

1 टिप्पणी:

  1. कृपया फॉन्‍ट की समस्‍या हल कीजिए, पढ़ने में अत्‍यधिक व्‍यवधान हो रहा है.

    जवाब देंहटाएं