चंदुलाल चंद्राकर स्मृति फेलोशिप के सम्बन्ध में छत्तीसगढ़ सरकार का निर्णय समझ से परे है. सरकार अब खुद तय करेगी के किन पत्रकारों को पुरस्कार दिया जाना है.दलील यह डी गई है के फेलोशिप प्राप्त कुछ पत्रकारों ने निर्धारित विषयो पर पुस्तक लिखी ही नहीं.आखिर ऐसे पत्रकारों को फेलोशिप डी क्यों गयी? अगर डी तो मोनिटरिंग क्यों नहीं की गयी, या इसकी जिम्मेदारी किसकी थी. अब एक बार फिर यह फेलोशिप उन कठपुतलियो को मिलने का अंदेशा है जो सत्ता के गलियारे में पहुच रखते है विकास पत्रकारिता सर्वोपरि है पर राग जय जय वनती के अलावा सरोकार शुदा पत्रकारिता का धयेय सर्वुपरी होना चाहिए ऐसा मुझे लगता है. छत्तीसगढ़ सरकार को पुरस्कार के सन्दर्भ में इस पहलु पर भी सोचना चाहिए.
दुखवा मैं कासे कहूं मोरी सखी!!!प्रिय सखी
सच कहती हूँ... मेरी तकदीर में सुख कम दुःख ज्यादा लिखे हैं.अक्सर सफ़र पर ही रहती हूँ.कभी शहर के भीतर तो कभी लम्बे सफ़र पर....छोटे शहर से बड़े शहर तक.कई बार मेरी यात्रा एकदम तन्हाइयों में …Read More
गूगल के संस्थापकों से आगे निकले फेसबुक के जुकरबर्गगूगल के संस्थापकों से आगे निकले फेसबुक के जुकरबर्ग
सोशल नेटवर्किग साइट फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग अमीरी के मामले गूगल के संस्थापकों सर्गी ब्रिन और लैरी पेज से आगे निकल गए हैं। महज 27 सा…Read More
आखिर धर्म या मजहब है किसलिए?
नेपाल की इक्कीस वर्षीय नन सामूहिक बलात्कार का शिकार हो गई.जिस ननरी में उसने दस बरस तक अपनी सेवाएँ दी वहा से उसे निकाल दिया गया.विगत माह एक पब्लिक बस में उसे पांच लोगो ने बलात्कार का शिकार बनाया था.नन…Read More
सूखी अरपा ....
सूखी अरपा ....
आज सचमुच देखा अपनी अरपा का सूखा तन कसक उठी,दुखी हुआ मनसूखी अरपा ,खोया यौवन धन आज सचमुच देखाअरपा की पसरी रेतदूर तक फैला पाटबेजान ,नीरव और सपाट
आ…Read More
दुखवा मैं कसे कहूं मोरी सखी!!!
प्रिय सखी
सच कहती हूँ... मेरी तकदीर में सुख कम दुःख ज्यादा लिखे हैं.अक्सर सफ़र पर ही रहती हूँ.कभी शहर के भीतर तो कभी लम्बे सफ़र पर....छोटे शहर से बड़े शहर तक.कई बार मेरी यात्रा एकदम तन्हाइयों मे…Read More
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