रविवार, 26 सितंबर 2010

चंदुलाल चंद्राकर स्मृति फेलोशिप

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चंदुलाल चंद्राकर स्मृति फेलोशिप के सम्बन्ध में छत्तीसगढ़ सरकार का निर्णय समझ से परे है. सरकार अब खुद तय करेगी के किन पत्रकारों को पुरस्कार  दिया जाना है.दलील यह डी गई है के फेलोशिप प्राप्त कुछ पत्रकारों ने निर्धारित विषयो पर पुस्तक लिखी ही नहीं.आखिर ऐसे पत्रकारों को फेलोशिप डी क्यों गयी? अगर डी  तो मोनिटरिंग क्यों नहीं की गयी,  या इसकी जिम्मेदारी किसकी थी. अब एक बार फिर  यह फेलोशिप उन कठपुतलियो को मिलने का अंदेशा है जो सत्ता के गलियारे में पहुच रखते है विकास पत्रकारिता सर्वोपरि है पर राग जय जय वनती के अलावा सरोकार शुदा पत्रकारिता का धयेय  सर्वुपरी होना चाहिए ऐसा मुझे लगता है. छत्तीसगढ़ सरकार को पुरस्कार के सन्दर्भ में इस पहलु पर भी सोचना चाहिए.

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