ललित कला अकादमी दिल्ली ने कला भारती का प्रकाशन किया है .भारत के श्रेष्ठ चित्रकारों यानी पेंटरो पर लिखे गए लेखो पर आधारित है यह पुस्तक .पियूष दैया के संपादकत्व में छपे दोनों खंड अत्यंत संग्रहणीय है.डाक्टर ज्योतिष जोशी तथा पियूष दैया बधाई के पात्र है.खंड १ के १०७ वे तथा खंड २ के १५५ वे पेज पर मेरे अनुवाद भी प्रकाशित हुए है. पेंटिंग तथा चित्रकारी को जान्ने व समझने वालो को कला भारती पढनी चाहिए.
ठिठुरती रात की बातजब चली सर्द हवा मैंने तुझे याद किया
ये सर्द रात ,ये आवारगी,ये नींद का बोझ हम अपने शहर में होते तो घर चले जाते
बढ़ते शहर में मौसम को जीने का अंदाज भी चुगली कर जाता है.या फिर यूँ कहिये …Read More
सर जी , आपने भी दिल के तहखाने में यादों के कुछ लम्हे छिपाकर रखे होंगे ....जब ऊपरी होठो पर मूछों की लकीर उभरी होगी ... किसी को देखकर नींद गायब हुई होगी और बिस्तर की सलवटो ने आपस…Read More
अगर तुम....मेरे बच्चे तुम भी बन जाओगे एक इंसान ...!
कोई मजहम ऐसा भी यहाँ चलाया जाए जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए सोलह आना सच कहा है कवी नीरज ने .दो टूक ऐसी बात जो नीम सच है और एकदम सामयिक…Read More
और मजमा फिट हुआ...मक्खन... मिर्च और मठा... दुखवा मैं कासे कहूं?
" बहुत दिनों बाद मजमा फिट किया है उस्ताद !" -जम्हूरे ने पूछा .हाँ जम्हूरे! एक ठो फार्मूला सोचने में भिड़ा था... मिल गया तो अपुन का मजमा फिर तैयार -उस्ताद …Read More
तेरे बगैर नींद न आई....तेरे बगैर नींद न आई तमाम रात ....
"यार नींद नहीं आती आजकल " दद्दू उस रोज शिकायत कर रहे थे ,"कभी तनाव ज्यादा रहता है तब नींद नहीं आती और कभी तो समझ में ही नहीं आता के नींद क्यों नहीं आ…Read More
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