सोमवार, 17 जनवरी 2011

आदमी वो है जो खेला करे तूफानों से

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" सभी कार्यों में सफलता पूर्व तैयारी पर निर्भर करती है.पूर्व तैयारी के बगैर निश्चित रूप से असफलता हाथ लगती है."- कन्फ्यूशियस 
यह कथन मुझे सौ फीसदी खरा उस समय लगा जब मैंने पीएस सी की परीक्षा पास करने वाले होनहार युवक-युवतियों के इंटरव्यू अखबारों में पढ़े थे.रोक्तिमा राय ,फरिहा मतीन,दीपक अग्रवाल,अरविन्द पतले ,सोनल खंडूजा,सुनील चौधरी ,आदित्य शर्मा और सुनील सिंह के अलावा अनेक नौजवान ,मेहनतकश पढ़ाकुओं ने सिविल सेवाओं के लिए परीक्षा यों ही नहीं पास कर ली होगी.बेशक इनकी सफलता के पीछे लक्ष्य,बेहतर कोचिंग , गहरा मार्गदर्शन ,सही विषय चयन और नए ट्रेंड की जानकारी के साथ ही ज़माने की नब्ज को भी पहचानने की बात रही होगी.
                         इन सबके साथ ही गायत्री सिंह,निवेदिता पाल,नेहा पाण्डे, रेणुका श्रीवास्तव ,मीनाक्षी शुक्ल,और सोनिया नायक जैसी करियर कांशस युवतियों की फेहरिस्त भी है जिनके बुलंद हौसलों और सही अकादमिक रणनीति ने उन्हें सफलता बक्शी.उन्हें मैंने उसी वक्त बधाइयों के गुलदस्ते भेजे थे.मन में यह बात उठती है की क्या उनसे बाकी हम-उम्र युवा कोई सीख नहीं ले सकते! निश्चित तौर पर उन सभी के रास्तों में भी कठिनाइयाँ आई होंगी पर समस्याओं के तूफानों से लड़ने की जिद ही तो सफलता के कदम चूमने का मौका देती है.शैलेन्द्र ने क्या खूब गया था-
         बात इतनी सी है कह दो कोई दीवानों से 
        आदमी वो है जो खेला करे तूफानों से 
तमाम प्रोफेशनल कालेजों और नौकरियों के लिए  चयन स्पर्धाओं में सफल होने वाले मुकद्दर के सिमंदारों और शिकस्त खाने वाले , दोनों के लिए ही नए सफर का आगाज शुरू होना चाहिए .सफलता की ख़ुशी तब सार्थक होती है  जब सफल प्रतियोगी अपनी रणनीति का खुलासा साथियों के बीच करते हैं.वैसे यह जिम्मेदारी कोचिंग सेंटरों की है जहाँ पर वे पढ़ते रहे.जो असफल रहते है उन्हें अपनी रणनीति का पुनरावलोकन करना चाहिए.इमर्सन ने कहा है ," सफलता का पहला रहस्य है आत्म विश्वास."
यानी  हम विफल हुए तो अपनी कमजोरियों को दूर कर दोबारा मेहनत करें.
                           सफल परीक्षार्थियों  ने यकीनी तौर पर खुशियाँ मनाई होंगी पर मै असफल शहसवारों की हौसलाफजाई इन शब्दों में करना चाहूँगा.-          वो देख चिरागों के शोले मंजिलों से इशारा करते हैं 
                                          तू हिम्मत हार के बैठ गया, हिम्मत कहीं हारा करते हैं ?
अपनी असफलताओं से मत घबराइए.सफल होने के लिए तुरंत फैसला करने की शक्ति आवश्यक है.सफल इंसान उस गुलदस्ते की तरह होता है जिसे जिन्दगी का घूमता चाक अच्छे कुम्हार(मार्गदर्शक )की मदद से गढ़ता है.वैसे देखा जाए तो हालिया नौजवानों की पीशी ने सचमुच यह साबित कर दिया है के करियर बनाने में " अकादमिक विरासत " की कहीं कोई मोह्ताज्गी नहीं है.
                       पर हमारे ज़माने में करियर बनाने के मौके भी कम थे, माता-पिता और बच्चों के बीच दूरियां भी इतनी थी की जनरेशन गैप की वजह से हमें उतना मार्ग दर्शन नहीं मिला जितना आज की पीढ़ी को मिल रहा है." दद्दू ने अतीत की याद कर अपनी बात कही.बात तो ठीक कह रहे हो दद्दू,मैंने कहा ," आज अवसरों का खजाना सामने है ,बच्चे माता-पिता के दोस्त बन गए है.दूरियों की दहशत समाप्त हो गई हैऔर पालकों ने भी अच्छी तरह सीख लिया है " जनरेशन-मैनेजमेंट" .बेहतर  और अपडेटेड मार्गदर्शन करने और जुटाने में भी आज पालक सक्षम हैं.
तफरीह करते हुए मै और दद्दू जब पान ठेले के सामने से गुजरते है .... चार  युवा खड़े हैं जिनकी  बाते हमारे कानों से टकराती हैं.-सिगरेट फूंकता पहला युवा शिक्षा पद्धति को कोसता है.गुटका मुहं में ठूंसकर दूसरे ने कहा," यार !पैसे देकर भी मामला नही जमा.तीसरा बोला, मैंने तो हरे नोट देकर मामला सलटा लिया है.चौथा बिगड़ा  नवाब है ."अबे झंडू बाम! बाप किसके लिए कमा रहा है!" पान ठेले के थोड़ी ही दूर टिमटिमाते दिए की रोशनी में झोपड़ी के भीतर एक मजदूर का बेटा सुरेश मन लगाकर पढ़ रहा है.दसवी की  बोर्ड परीक्षा में उसने टॉप किया था.सुरेश जैसे ही जोशीले हिम्मत वालों के लिए कहा गया है-
                        सफर मैं मुश्किलें  आए तो जुरअत और बढ़ती है 
                         कोई जब रास्ता  रोके तो  हिम्मत और बढती है 
नौजवान पीढ़ी को हिम्मत और लग्न से लक्ष्य तक की सीढियां चढ़नी होंगी..मुसीबतें सहनी होंगी क्योंकि  "  शिकायतें गर न हों तो जिन्दगी मोहकम  नहीं होती"  इसलिए जोश और होश वाले नौजवान दोस्तों , जब भी हम लक्ष्य के सफर पर चलना शुरू करें एक बात हमेशा अपने-आपसे दुहराते रहना जो बशीर बद्र साहब ने आपके और  सभी के लिए कही है-
            जिस दिन से चला हूँ मंजिल पे मेरी नजर है 
             आँखों  ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा 
                                                                          अपना ख्याल रखिए .. खुश रहिए...
                                                                                 किशोर दिवसे


                          

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1 टिप्पणी:

  1. सफलता स्‍वयं में एक प्रेरक कहानी बन जाती है, लेकिन अनिवार्यतः अनुकरणीय नहीं. टिप्‍पणी के साथ शब्‍द पुष्टिकरण से अनावश्‍यक बाधा होती है, उचित प्रतीत हो तो यह हटा लें.

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