नेपाल की इक्कीस वर्षीय नन सामूहिक बलात्कार का शिकार हो गई.जिस ननरी में उसने दस बरस तक अपनी सेवाएँ दी वहा से उसे निकाल दिया गया.विगत माह एक पब्लिक बस में उसे पांच लोगो ने बलात्कार का शिकार बनाया था.ननरी का दो टूक हुक्मनामा है कि वह युवती अब नन या भिक्षुणी नहीं रह सकती .नेपाल बुद्धिस्ट फेडरेशन का मंतव्य है कि बलात्कार की शिकार नन अब धर्मविहीन हो गई. क्या धर्म दो कौड़ी का बना दिया गया है जो बलात्कार होने पर उस इंसान से अलहदा हो जाता है?फेडरेशन यह भी कहती है की बुद्ध के जीवन काल में कभी ऐसा नहीं हुआ था . अतः ऐसे मामलो में क्या फैसला लिया जाए इसकी कोई नजीर नहीं है.क्या धार्मिक संगठन चलाने वाले इतने कमअक्ल है कि उनके अपने दिमाग ... विवेक ...सोचने क़ी ताकत क़ी धज्जियाँ उड़ गई है??अस्पताल में उसके इलाज पर सात लाख के खर्च का इंतजाम ....ननरी न लौट पाने क़ी मजबूरी...बेहतर है उसे ऐसे वाहियात धार्मिक संगठनों को छोड़कर अपने पैरो पर खड़ा होना चाहिए. सवाल उन महिला संगठनों पर भी हैं जो या तो महज कास्मेटिक बने रहते हैं या किसी तरह पैसे क़ी जुगत में!!!
1:07 am
ज्वलंत प्रश्न.
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