शनिवार, 16 जनवरी 2016

"वायुमार्ग " के जरिए विकास सुनिश्चित

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"वायुमार्ग " के जरिए  विकास सुनिश्चित

बलरामपुर- रामानुजगंज  के पास ताम्बेश्वर ग्राम में 13. 32  करोड़ की  लागत से नवनिर्मित्त हवाई पट्टी का लोकार्पण हालिया 14  जनवरी को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने किया है। 1  जनवरी 2012 को अस्तित्व में आया बलरामपुर जिला पहले सरगुजा में शामिल था। तीन वर्ष की अवधि में यहाँ पर हवाई पट्टी  का बनना इस तथ्य को इंगित  करता है कि इस क्षेत्र में विकास  की आवश्यकता को राज्य के राजनैतिक नेतृत्व ने भांप लिया। हवाई पट्टी निहायत जरूरी थी भी क्योंकि 3806  . 08वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पसरा अंबिकापुर ( सरगुजा संभाग ) का यह इलाका धुर नक्सली प्रभावित  रहा है।   यूं तो  सरगुजा में ही नक्सली आमद हो चुकी है  जिसके मद्देनजर बरास्ता हवाई पट्टी तथा शीघ्र ही रेल विस्तार की कार्ययोजना का खाका तैयार किये जाने का  भरोसा मुख्यमंत्री रमन सिंह ने दिया है। वह भी उस वक्त जब वे अपने सम्बोधन में कह रहे थे कि नक्सल समस्या के खात्मे के साथ के साथ विकास हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
          वायुमार्ग ,रेल यातायात  विस्तार तथा सडकों के  आल-जाल की सघनता ही विकास की मुख्यधारा को दूरस्थ ( रिमोट या माइक्रो रिमोट ) क्षेत्र के नजदीक लाती है, यह सिद्धांत विकास पत्रकारिता का सरकारों द्वारा आजमाया गया वैश्विक स्तरीय बुनियादी सिद्धांत है।  लिहाजा रामानुजगंज जिले में हवाई पट्टी का बनना इस क्षेत्र के अलावा निकटवर्ती इलाकों  के विकास को भी गतिशील करेगा। इस तथ्य  में कोई  दो मत नहीं हो सकता। ऐसा इसलिए भी क्योंकि छत्तीसगढ़ का यह उत्तरी क्षेत्र झारखंड की  .सीमा से सटा  हुआ है। रांची तथा रायपुर हवाई अड्डे निकटवर्ती होने की वजह से विकास की संभावना और भी अधिक सुनिश्चित हो जाती है। फिलवक्त  गढवा और अम्बिकापुर  स्टेशन रामानुजगंज जिले के बलरामपुर  हैं। भविष्य की रेल विस्तार योजनाएं निश्चित रूप से प्रभावकारी साबित होंगी।
           समूचा सरगुजा ही  , अपार वन सम्पदा ,ऐतिहासिक पुरावशेषों , खनिज अयस्क ,एडवेंचर स्पोर्ट्स,तथा पर्यटन स्थलों आदि के लिए सर्वानुकूल इलाकों की अवस्थितता की वजह से संसाधन सम्पन्न है। लिहाजा  वायुमार्ग से जुड़ना अवश्य ही विकास को गतिशील करेगा। दरअसल , वायुमार्ग से किसी शहर का जुड़ना इसलिए भी फायदेमंद होता है क्योकि यह उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित  करता है। अब , यह जवाबदेही सरकार की होगी कि उद्योग ,पर्यावरण सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करें। रोजगार निर्माण के प्रति भी क्षेत्रीय जनमत  का सम्मान करें। बजरिये जनचेतना के उत्प्रेरण ऐसा किया जाना भी चाहिए।
बलरामपुर ही नहीं देश के जिस किसी शहर में वायुमार्ग का विकास हुआ राजनैतिक और समाजार्थिक विकास को भी रफ़्तार मिली. निश्चित रूप से यह भी ध्यान दिया जाना जरूरी होगा कि पुरानी या नयी हवाई पट्टी पर कोई निजी रसूखदार अपना कब्जा नहीं कर सके कर सके। रखरखाव और मॉनिटरिंग भी उतनी मजबूती से  है।
                वायुमार्ग से विकास सुनिश्चित   करने छत्तीसगढ़ सरकार को चाहिए कि  छत्तीसगढ़ के सभी प्रमुख शहरों को चाहे वे सरगुजा या बस्तर जैसे दूरस्थ  इलाकों में अवस्थित हों या  दीगर औद्योगिक शहर हवाई पट्टियों  के   निर्माण के अलावा रेल यातायात विस्तार की   सुगमता से भी जोड़ें। फिलवक्त रेल-सड़क यातायात विस्तार की अनेक योजनाएं क्रियान्वयन के चरण में हैं। फिर भी ,वायुमार्ग से  राज्य में व्यक्तिगत और सामूहिक विकास सुनिश्चित करने की महती जिम्मेदारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों की होगी। जनअपेक्षाओं को मूर्त रूप देने नीति निर्धारकों के जरिये क्रियान्वित कराने की जिम्मेदारी भी उनकी है। यकीनी तौर पर बहुआयामी विकास में वायुमार्गों का व्यवहारिक  रूप से भागीदार होना सुनिश्चित  करने में रचनात्मक जनचेतना का अत्यंत मुखर होना आज सर्वोपरि  है।        

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