शनिवार, 12 दिसंबर 2015

किसान नेता शरद जोशी होने का मतलब....

Posted by with No comments

किसान नेता शरद जोशी होने का मतलब....
निधन पर विशेष



जुझारू किसान नेता शरद जोशी नहीं रहे .वैसे भी देश में कृषि और किसानों की दिशा और दशा के मद्देनजर जमीनी स्तर के किसान  नेताओं का टोटा महसूस किया जा रहा था..... यह कमी अब भी है . . फिर भी हर पल उन्होंने बतौर किसान नेता अपनी जवाबदेहिया व्यापक रूप से बखूबी निबाही . महाराष्ट्र ही नहीं देश में  कृषि से जुड़ा विचार -केन्द्रों  का जर्रा -जर्रा शरद जोशी से वाकिफ है .
          गाँवों की संख्या घटती जा रही है . किसान खुद्कुशियां कर रहे हैं.जल जंगल और जमीन के मसले गहरा चुके हैं .समर्थन मूल्य से लेकर तमाम किसानी मुद्दे कृषि की रीढ़ तोड़ चुके हैं .जमीनी स्तर के किसान  नेताओं की जरूरत अब शिद्दत से महसूस की जाने लगी है .कृषि अब भी वरीयता के अजेंडे में उतनी  पुख्ता स्थिति में नहीं है जितनी होनी चाहिए .
              सारी जिंदगी किसानों के लिए शरद जोशी संघर्ष करते रहे .सरकार की किसान विरोधी नीतियों की मुखालफत की वजह से लोग उन्हें किसान नेता मानते थे .शरद जोशी महाराष्ट्र में किसान आंदोलन के प्रणेता और सांसद थे . .वे स्वतंत्रता भारत  पक्ष पार्टी और शेतकारी संघटना के संस्थापक  भी रहे . .वे अकेले सांसद थे जिन्होंने संसद में महिला आरक्षण के खिलाफ मतदान किया .विश्व बैंक के अधिकारी की भूमिका भी उन्होंने भी सक्षमता से निबाही   .
       अंग्रेजी अखबारों में सम्पादकीय के माध्यम से शरद जोशी ने किसानों की बेहतरी के लिए बुनियादी तौर पर सोचा .किसानों और बुद्धिजीवियों के बीच वैचारिक संघर्ष से वे अक्सर आहत होते थे .उनकी स्पष्ट राय थी कि अगर किसानो से हमेशा संवाद होगा तब बुद्धिजीवी तथ्यों को समझ सकेंगे .विश्व बैंक के अधिकारी होने की वजह से उनकी सोच में मौलिकता थी .
               आज कृषि क्षेत्र की हकीकत क्या है? आज किसानों को जागरूक करना जरूरी है ताकि  देश का किसान अपनी बात को हुक्मरानों को कह सके। आज किसान में  जागरूकता का स्तर हर राज्य  में अलहदा है .  उत्पीड़न के खिलाफ आये दिन किसान सड़कों पर अपनी आवाज बुलन्द कर रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर किसानों की एकता में आयी कमी के कारण किसान खेती किसानी के मुद्दों पर हारी हुई जंग लड़ रहा है।
                    महाराष्ट्र में लंबे समय तक किसानों का बड़ा आंदोलन चलाने वाले शेतकारी संगठना के नेता शरद जोशी हमेशा कहते रहे  कि यदि सरकार खेती में हस्तक्षेप बंद कर दे और किसानों को खुली मंडी में अपनी उपज बेचने दे तो न किसान आत्महत्या करेंगे और न बदहाल रहेंगे। शरद जोशी की कृषि उत्थान के क्षेत्र में बेहतरी में निबाही गई भूमिका के मद्देनजर ऐसा लगता है कि भारत के हर राज्य को शरद जोशी जैसे दमदार  किसान नेता की जरूरत है .किसानों में जन चेतना जगाने का अभी  सही वक्त भी है .

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें