वक्त दोपहर ( शाम के बाद समय नहीं मिलेगा इसलिए)
ह़र किसी का अपना अलहदा अंदाज होता है बीते बरस को अलविदा कहने का.वर्ष २०१० की विदाई और २०११ का स्वागत करने प्लानिंग अमूमन पहले से ही हो जाया करती है.कईयों ने सोचा की आउटिंग कर ऐश करे और रात दारू-शारू के साथ मजे लें. नव- धनाढ्यों का कुनबा बड़ी होटलों में साल की विदाई पार्टी के साथ "रात रंगीन " करने शराब -शबाब के पॅकेज डील कर चुका होता है.बीते बरस भी ३१ की रात को सुरूर में पहले तो तेज रफ़्तार सडको पर कुछ नौजवान घूमे फिर उनमें से कुछ अस्पताल में भी नजर आए.
वर्ष २००९ की रात को भी बारह बजे शहर जवान हो कर मस्ती में बल्ले-बल्ले कर रहा था. अपनी- अपनी सोच और नसीब के चक्कर में बीते साल की विदाई का अंदाज भी मजदूरों, मिडिल क्लास और रईसों की तकदीर- तदबीर के पारदर्शी अक्स दिखा जाता है.कहीं खुशी .. कहीं गम ...कहीं जोश-ऍ- जूनून तो कहीं झुंझलाहट नजर आती है.रात में टीवी के सामने " हात एंड मसाला कार्यक्रमों को देखने वालों का तबका भी होता है.युवा होस्टलों में जश्न का अलग अंदाज तो जिनकी एग्जाम चल रही है वे थोडा सा एन्जॉय कर ज्यादा टाइम खोटी नहीं करना चाहते.
आज रात भी यही सब होगा . पिछले बरस अपने दद्दू ने टिप्पणी कीथी ,"दोस्त! बाजार और नई हवा के इशारे पर ही सही लोग अब अवसरों को बिंदास तरीके से जीने की जीवनशैली अपना चुके हैं.यह बात अलग है ki जिंदगी में मिली सौगातें अपने-अपने पुरुषार्थ और नसीब का मिला-जुला फलादेश है.कुछ लोग नए वर्ष पर जश्न के साथ कोई रिसोलुशन भी लेते हैं . हाँ! कौन निभाता है कौन नहीं यह अपनी जिद की बात है.
" संकल्प के लिए नए बरस की शुरुआत की मोह्ताज्गी क्यों ? क्या हम साल भर उत्सव की तरह नए संकल्पों के साथ नहीं मना सकते? "क्यूँ नहीं!नए वर्ष का सन्देश है परिवर्तन.हमसे जुडी व्यवस्थाओं के प्रति जाग्रति,सच्चे ज्ञान ,प्रेम और खुशियाँ बाटने का संकल्प कर हम साल भर उसपर अमल कर सकते हैं.रात गई, बात गई कहकर एक दिनी हुल्लड़ और अय्याशी से कुछ नहीं होने का.फिर भी टेंशन भरी जिंदगी में हम लोग फुल -टू मनोरंजन का कोई भी मौका नहीं चूकते..चूकना भी नहीं चाहिए.
बीते बरस की विदाई और नए वर्ष के स्वागत को एक दिनी जश्न मानने वालों के अलावा बच्चे से बूढ़े तक के लिए नए वर्ष का समूचा अजेंडा गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टेगोर की " गीतांजलि" में इन पंक्तियों से प्रतिध्वनित होता है-
जहाँ पर मस्तिष्क हो निर्भय,
और भाल सदा गर्वोन्मत्त
जहां हो ज्ञान का मुक्त भंडार,
जहाँ न हो विश्व विभाजित
संकीर्ण सरहदी दीवारों से
जहाँ सदा जन्म लें अक्षर
ध्रुव सत्य की कोख से
जहाँ अनथक परिश्रम आतुर हो
उत्कर्ष का आलिंगन करने
जहाँ निरंतर प्रयोजन के स्रोत
स्वार्थ मरू में न हो गए हो लुप्त
जहाँ मेधा इन सत्य पुष्पों से
सदैव हो परिचालित,विचारवान
मेरे पिता!जागने दो मेरे देश को!
चलिए छोड़िए.... बीते बरस की विदाई में जुट जाएँ अपने- अपने तरीके से.कल सुबह कोई मंदिर जाएगा भगवान से आशीर्वाद लेने ... आराध्य से नया वर्ष सुखद होने की कामना करेंगे.कोई देर सुबह तक उनींदा सा होगा. आप सभी मेरे अपने है. सो .अपनी प्रिय मित्र संज्ञा टंडन का मेरे मोबाइल पर आया यह सन्देश आपतक पहुंचाकर नया वर्ष खूब प्यार और खुशहाली भरा होने की कामना इन शब्दों में करता हूँ
क़ल जब किस्मत बटेगी तब ४ इक्के आप के हाथ लगेंगे ----1111 आगत वर्ष की तारीख़ - 1-1-1-1
खुश रहिए ... खुश रखिए...और अपना ख्याल रखिएगा...
किशोर दिवसे
मोबाईल -09827471743
12:53 am
आपको भी नया साल मुबारक.
जवाब देंहटाएंआपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनांए.
जवाब देंहटाएंनूतन वर्ष की बधाई और ढेरों शुभकामनाये..
जवाब देंहटाएंAAP KO BHI
जवाब देंहटाएं