राहुल भाई ,वर्तनी में भद्दी चूक ब्लॉग के ट्रांसलेटर से रोमन स्क्रिप्ट के जरिए कम्पोज करते वक्त हड़बड़ी में हो जाती हैं. आइन्दा ख्याल रखूंगा. ब्रज किशोर सर जी, आपने ठीक कहा,कुछ जगहों पर कुछ चीजें बची हैं अभी. सवाल यह है कि उन्हें सहेजने पर कब कौन कैसे सोचता है. वैसे सर जी,ऐसी परम्पराओं का आवेग कर्नाटक में ही नहीं दीगर कई राज्यों में भी नजर आ रहा है. छत्तीसगढ़ में भी व्याप्त कुछ कुप्रथाओ पर प्रिंट मीडिया ने बाखबर करने का काम किया है.चैनल वाले यहाँ अभी कुछ लो प्रोफाइल पर है.हाँ...कब कौन से टीवी चैनल वाले किस मोमेंट को सनसनी के नाम पर अपना हिडन एजेंडा बना लें क्या भरोसा?
आइना छोडिये आईने में क्या रक्खा है?
आईना छोडिये आईने में क्या रक्खा है?"लेकिन वह अफसर ईमानदार था " दद्दू कहने लगे"दफ्तर में चापलूस और बेईमानों के कुनबे ने लगातार उसके खिलाफ साजिशें रची.फिर होना क्या था ... राजनैतिक दाव-पे…Read More
स्वयंभू युगपुरुष
मेरी स्वरचित कवितास्वयंभू युगपुरुष----------------थर्मोकोल सी बस्तियों मेंथा जिन्दा लाशों का मरघटविलाप करती वीणावादिनी केश्वेत रंग पुते कुछ काले कपूतकई रंगे सियारों की हुआ-हुआचीखते रहे वे स्तब्ध साधक…Read More
समंदर है जिन्दगी और प्यार अतलांत...
समंदर है जिन्दगी और प्यार अतलांत...ट्रेन में मुसाफिरी के दौरान कुछ कदम साथ चलने वाले हमसफर ऐसे भी मिलते है जो यादों में अमिट इबारत बनकर चस्पा हो जाते है हमेशा के लिए...! …Read More
शहर कागज का है और शोलों की निगहबानी है
शहर कागज का है और शोलों की निगहबानी है
अगर तासीर की बात करते हैं तो शहर और इंसान एक बराबर हैं.और, शहर ही क्यों गाँव,शहर और महानगर भी कई दफे इन्सान की जिन्दगी जीते है उनका भी दिल धडकता है. वे भ…Read More
वो तिल बना रहे थे, स्याही फिसल गई
वो तिल बना रहे थे, स्याही फिसल गई उस रोज रेडियो पर किसी कार्यक्रम में बहस चल रही थी काले और गोरे रंग को फिल्म वालों ने किस तरह तरजीह दी है....हिरोइन या हीरो काले क्यों नहीं होते? गोरा रंग…Read More
... saarthak charchaa !!!
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जवाब देंहटाएं"दम मरोड़ने का शुक्रिया "...
An appealing title indeed !
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waiting for newer post.
जवाब देंहटाएंAAJ BHI POST NAHI PAYA, AAP THIK TO HAIN NA.
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