राहुल भाई ,वर्तनी में भद्दी चूक ब्लॉग के ट्रांसलेटर से रोमन स्क्रिप्ट के जरिए कम्पोज करते वक्त हड़बड़ी में हो जाती हैं. आइन्दा ख्याल रखूंगा. ब्रज किशोर सर जी, आपने ठीक कहा,कुछ जगहों पर कुछ चीजें बची हैं अभी. सवाल यह है कि उन्हें सहेजने पर कब कौन कैसे सोचता है. वैसे सर जी,ऐसी परम्पराओं का आवेग कर्नाटक में ही नहीं दीगर कई राज्यों में भी नजर आ रहा है. छत्तीसगढ़ में भी व्याप्त कुछ कुप्रथाओ पर प्रिंट मीडिया ने बाखबर करने का काम किया है.चैनल वाले यहाँ अभी कुछ लो प्रोफाइल पर है.हाँ...कब कौन से टीवी चैनल वाले किस मोमेंट को सनसनी के नाम पर अपना हिडन एजेंडा बना लें क्या भरोसा?
... saarthak charchaa !!!
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जवाब देंहटाएं"दम मरोड़ने का शुक्रिया "...
An appealing title indeed !
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waiting for newer post.
जवाब देंहटाएंAAJ BHI POST NAHI PAYA, AAP THIK TO HAIN NA.
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