बिलासपुर के टाइटस परिवार से जुड़े हैं अप्पाचेन
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बापू के डांडी मार्च काफिले में शामिल
81 की मूर्तियों में एक उनकी भी। ....
बिलासपुर छत्तीसगढ़ का एक परिवार है जो ऐसी शख्सियत से जुड़ा है जिनकी मूर्ति सैफ़ी विला , डांडी ,गुजरात में स्थापित की जाएगी। जी हाँ !ऐतिहासिक डांडी शहर जहाँ से महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह के अंतर्गत " डांडी मार्च" निकाला था। शांतिनगर सिद्धि शिखर विस्तार ,बिलासपुर में रहने वाला यह टाइटस परिवार है। जिनकी मूर्ति लग रही है वे टाइटस जॉर्ज के दादाजी व् जार्ज टाइटस के पिता वेरथुंडियिल टाइटस हैं. 1980 में थेवेरथुंडियिल टाइटस मृत्यु हुई। बापू के सहयोगी उन्हें टाइटस जी कहते थे।
टाइटस परिवार के लोग थेवेरथुंडियिल टाइटस जी को अप्पाचेन ( मलयालम अर्थ -पिताजी ) कहते थे। अप्पाचेन महात्मा गांधी के विश्वासपात्र डेयरी एक्सपर्ट रहे। खास बात यह कि उन्होंने बापू से अपने रिश्ते का निजी स्वार्थ के लिए कभी लाभ नहीं उठाया। कभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अवार्ड भी नहीं लिया। न कोई चौक बना न कोई सड़क। जब तक बापू के साथ रहे आश्रम के लिए डेयरी का काम सम्हाला। अप्पाचेन की मृत्यु 1980 में हुई थी। डांडी यात्रा के दौरान बापू की यादों को अप्पाचेन ने अपनी डायरी में सहेजकर रखा है। .... उसी डायरी में दर्ज यादों की इबारतें। .....
12 मार्च 1930 बापू ने डांडी मार्च निकाला था। उसी यात्रा में मैं भी शामिल था। सख्त निर्देश थे उनके -पूरा अनुशासन ,शांति रखना है ,अगर कोई कार्रवाई हुई तो विरोध नहीं होगा। जो नहीं कर सकता वह छोड़ कर जा सकता है. कुछ ने आश्रम छोड़ दिया था। डांडी मार्च पर 80 लोग गए। महिलाओं ने आश्रम सम्हाला।
कोलकाता की लिली बिस्किट कंपनी ने बापू साथ में बिस्किट ले जाने का ऑफर दिया था जिसे उन्होंने विनम्रता से ठुकरा दिया। यात्रा की शुरुआत "वैष्णव जन तो तेने कहिये "भजन से हुई थी। अप्पाचेन ने लिखा है 20 किलोमीटर चलने के बाद सभी विश्राम के लिए रुके। अप्पाचेन सूज गए थे। बापू ने नमक के पानी में डुबोकर रखने को कहा। सुबह तक पैर ठीक हो गए।
उनकी डायरी में लिखा है -_ क्या मुझे जीवन भर कुवारा रहना पड़ेगा?- अप्पाचेन ने बापू से पूछा उनका जवाब था,"नहीं ,साबरमती आश्रम में रहने तक। आश्रम में कुछ लड़के लड़कियां छिपकर रोमांस किया करते थे . बापू की पीठ के पीछे। प्रेम पत्र मिलने पर बापू को दुःख भी हुआ। उन्होंने कहा,"यह सब मेरे ही पाप का नतीजा है जो इस आश्रम में हो रहा है।
महात्मा गांधी एक बार केरल गए थे अप्पाचेन के घर। उन्होंने दादाजी से कहा की आपका बेटा (अप्पाचेन)आश्रम में पूरी तरह.सुरक्षित है।
1930 में जेल यात्रा से छूटने के बाद 1934 में अप्पाचेन केरल गए। 17 साल की अन्नम्मा ब्याह हुआ। रोमांटिक हनीमून की कल्पना उस वक्त फुर्र हो गयी जब अप्पाचेन और अन्नम्मा को आश्रम में -अलग -अलग पड़ा। अन्नम्मा से बापू ने कहा ,"बहू !तुम शौचालय साफ़ करोगी ,अन्नम्मा की घिग्घी बंध गयी। बापू का अनुशासन सख्त था। 1934 में बापू वर्धा में डेयरी शुरू करना चाहते थे। ब्रिटिश सामंत की बेटी मेडिलिन स्लेड (बापू ने उसका नाम रखा मीराबेन ) वहीं पर थी।उनसे अप्पाचेन की नहीं जमी .बापू ने रोका लेकिन वे सपत्नीक केरल चले गए। अप्पाचेन अक्सर कहते ,"अगर ईसाइयों के स्वर्ग में गांधीजी के लिए स्थान नहीं तो मैं वहां भी नहीं जाना चाहूँगा। वे गुलजारी लाल नंदा साथ बैरक में भी रहे।
अब जाकर थेवेरथुंडियिल टाइटस यानि अप्पाचेन के बापू से जुड़े सम्बन्ध को मान्यता मिली है। मूर्तिकार चौकी श्रीनिवास ने युवा टाइटस जी की मूर्ती बनायीं है। यह डांडी सत्याग्रह स्मृति प्रोजेक्ट का हिस्सा है यहां गांधीजी सहित डांडी मार्च करने वाले 81 लोगों की मूर्तियां लगेंगी। प्रोजेक्ट में 31 भारतीय और 9 विदेशी मूर्तिकार हैं। मूर्तियां सैफ विला ,(डांडी निकट) की 15 एकड़ की जमीन पर लगेंगी जहाँ बापू के संगवारी रुके थे।
बिलासपुर ,छत्तीसगढ़ में रहने वाला टाइटस परिवार इस उपक्रम से प्रफुल्लित है। टाइटस परिवार के एक सदस्य यानी टाइटस जार्ज के चाचा थॉमस टाइटस अभी भोपाल में रहते है। वे फ्री लांस पत्रकार भी हैं। निश्चित रूप से टाइटस परिवार की ख़ुशी अपने शहर बिलासपुर की ख़ुशी का सबब तो होगा ही ।
( अंग्रेजी में एक लेख रीडर्स डाइजेस्ट में भी छपा है )
12:47 am
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