Related Posts:
जब चली सर्द हवा मैंने तुझे याद किया ये सर्द रात ,ये आवारगी,ये नींद का बोझ हम अपने शहर में होते तो घर चले जाते बढ़ते शहर में मौसम को जीने का अंदाज भी चुगली कर जाता है.या फिर यूँ कहिये के बदलते वक्त में … Read More
शहर काग़ज़ का है और शोलों की निगहबानी है शहर कागज का है और शोलों की निगहबानी है अगर तासीर की बात करते हैं तो शहर और इंसान एक बराबर हैं.और, शहर ही क्यों गाँव,शहर और महानगर भी कई दफे इन्सान की जिन्दगी जीते हैं&n… Read More
कौन है व्यापारी और उसकी चार पत्नियाँ ! कौन है व्यापारी और उसकी चार पत्नियाँ ! सुनो विक्रमार्क! एक अमीर व्यापारी की चार पत्नियाँ थी.वह अपनी चौथी पत्नी को सबसे ज्यादा प्यार करता था और दुनिया की सबसे बेहतरीन सुवि… Read More
तुम शीशे का प्याला नहीं झील बन जाओ.. तुम शीशे का प्याला नहीं झील बन जाओ.. अब तो दादा -दादी या नाना -नानी के मुंह से कहानियां सुनने का फैशन ख़त्म ही हो गया है.आजकल के बच्चों के पास इसके लिए वक्त ही नहीं हो… Read More
..ऍ मसक्कली मसक्कली ...उड़ मटक्कली ..मटक्कली.... ..ऍ मसक्कली मसक्कली ...उड़ मटक्कली ..मटक्कली..... कुँए के मेंढक और समंदर की शार्क में फर्क होता है जमीन -आसमान का.बरास्ता जिद, जूनून और जिहाद कोई इंसान अपना किरदार ... तकदीर और तदबीर कु… Read More
11:51 pm
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें