गुरुवार, 30 अगस्त 2018

अरे ओ! इंसान की औलाद!

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अरे ओ! इंसान की औलाद!

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kishorediwase0 kishorediwase0@gmail.com

Fri, Jul 13, 10:13 AM
to me
अरे ओ सूअर की औलाद
अबे ....गधे के बच्चे
गिरगिट की तरह तू रंग
बदलता है बदतमीज़!
सांप और नेवले भी भला
कभी हो सकते हैं दोस्त?
पानी में रहकर मगरमच्छ
से मत करो तुम बैर
घोड़े और घांस की दोस्ती
भला देखी है तुमने कभी?
एक ही मछली सारे तालाब को
कर देती है कितना गंदा
दीमक की तरह देश को
खोखला कर रहे हैं कुछ लोग
शतुरमुर्ग की मानिंद आंधियों में
रेत में कब तक ध॔साओगे सर?
कछुआ चाल चलोगे ज़िंदगी भर?
बिल्ली की तरह आंखें मूंदकर
कब तक पियोगे दूध?
अपशगुन! बिल्ली काट गई रास्ता
अरे ओ बेहया इंसान
सभ्य जानवर समाज ने भी
नहीं बनाईं अब तक कभी
अपमानित करने इंसानों को
कहावतें या विधान जैसा कुछ
और इंसानों! तुम सब के सब
और सड़ियल तुम्हारी सोच भी
काॅल आॅफ द वाइल्ड- में
जैक लंडन के अक्षर दावानल ने
कर दी है पूरी तरह निपट नंगी
अरे !हम तो सदा ही रहे हैं दोस्त
दुनियावी मानव समाज के
बदनीयत इंसान क्यूं बन गया
आखिर दुश्मन इंसान का?
प्राणिजगत ने तो सीख ली सभ्यता
पर तुम इंसानों की देखकर बेशर्मी
शरमा गई है अब शर्म भी
करते हैं वादा,कर लो अपमानित
जब तक जिसे जितना भी चाहो
नहीं कहेगा एनीमल किंगडम का
एक भी सदस्य कभी आदमज़ात को
अरे ओ!.... इंसान की औलाद !

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