शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

पचपन बरस का होने पर......

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करिश्माई होती हैं दुआएं .उम्र पचपन की होने पर उम्रदराज होते जाने का मतलब बेहतर समझ में आने लगता है.अधिक जिम्मेदार होने की खुशियाँ और अदृश्य  दराज में रखी उम्र कितनी बची इसकी धुकधुकी भी...यानि कुछ खट्टा, कुछ मीठा.फिर भी फेस्बुकिया रिश्ते का एहसास अब मेरे मन को सम्मोहित कर चुका है.मेरे सभी अपनों के  जन्मदिन पर मेरे लिए भेजे बधाई  सन्देश निश्चित रूप से जिंदगी को हर पल अधिक ऊर्जा से जीने का हौसला देते हैं.फेसबुक परिवार का मेरा हर एक साथी  उम्र में छोटा हो या बड़ा ,मेरे दिल के भीतर मौजूद है.सब से सीखने की कोशिश की है मैंने.कभी छेड़ा है तो समझाया भी है.मन के भीतर भी सभी लोग बतियाते है मुझसे.मेरे जन्मदिन पर आप  सभी का प्यार सर आँखों पर.सच!कितना जादू है आपकी  दुआओं में!...महकता ही रहूँगा मैं आने वाले हर पल के दौरान....अपना बनायें रखें बस यही एक इल्तजा.    अपना ख्याल रखिये....प्यार  और आपके लिए हमेशा दुआओं सहित   -  किशोर दिवसे.

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